History of Vasant Panchmi | Importance, Katha, Of Basant Panchmi 2019 | Saraswati Puja 2019 In Hindi | वसंत पंचमी का ऐतिहासिक एवम पौराणिक कथा,महत्त्व,वसंत पंचमी की ख़ास बातें|



वसंत पंचमी का ऐतिहासिक एवम पौराणिक कथा,महत्त्व,वसंत पंचमी की ख़ास बातें (History ,Importance, Katha Of Basant Panchmi ):-

आई रे आई, ऋतुराज हैं आई,

चारों ओर बसंत बहार हैं छाई।
कोयल की कुहुँ - कुहुँ फैली हैं बाग़ में ,
पतझड़ बीता, बहारें छाई हैं बाग़ में ,
भीनी-भीनी सी ठंडक लगती हैं सुहानी ,
खेतों में लहराती सरसों और मक्का की बाली।
हर तरफ हैं सुर संगीत का वादन ,
माता सरस्वती का संगीतमय अभिवादन,
ऐसी हैं वसंत ऋतु की सौगात,
सजी हैं धरती पर सुहावनी बारात।।

वसंत पंचमी का उत्सव भारत के पूर्वी क्षेत्र में बड़े उत्साह से मनाया जाता हैं इसे सरस्वती  जयंती के रूप में पूजा जाता हैं तथा इसे ऋषि पंचमी, श्री पंचमी एवं पहली होली के नाम से भी जाना जाता हैं,  जिसका महत्व बिहार एवम पश्चिम बंगाल में अधिक देखने मिलता हैं । बड़े पैमाने पर पुरे देश में सरस्वती पूजा अर्चना एवम दान का आयोजन किया जाता हैं । इस दिन को संगीत एवम विद्या को समर्पित किया गया हैं । माँ सरस्वती सुर एवम विद्या की जननी कही जाती हैं इसलिये इस दिन वाद्य यंत्रो एवम पुस्तकों का भी पूजन किया जाता हैं ।



वसंत पंचमी २०१९ में कब हैं ? | Vasant Panchami 2019 Date and Timing:-


वसंत पंचमी हिंदी पंचाग के अनुसार माघ महीने की पंचमी तिथि को मनाया जाता हैं , इस दिन से वसंत ऋतु का प्रारम्भ होता हैं ।प्राकृतिक रूप से भी बदलाव महसूस होता हैं। इस दिन पतझड़ का मौसम ख़तम होकर हरियाली का प्रारम्भ होता हैं।अंग्रेजी कैलेंडर  के अनुसार यह दिवस जनवरी -फ़रवरी माह में मनाया जाता हैं।


  • वसंत पंचमी की तारीख  :- 10 फ़रवरी 2019, दिन रविवार
  • वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त  :- 06:32 से 12:04
  • समय                         :- 5 घंटे  31 मिनट
  • पंचमी  तिथि शुरुआत   :- 12:25 पर 9/Feb/2019
  • पंचमी  तिथि  खत्म       :-14:08 पर 10/Feb/2019
भारत में कई त्यौहार मनाये जाते हैं,जो न केवल एक उत्साह होते हैं ,बल्कि पर्यावरण  में आने वाले बदलाव के सूचक भी होते हैं,हिंदी पंचांग की तिथियाँ अपने साथ मौसमी बदलाव का भी संकेत देती हैं जो पूर्णतः प्राकृतिक होते हैं ।उन्ही त्यौहारों में एक त्यौहार हैं वसंत पंचमी ।


वसंत ऋतू के मुख्य त्यौहार | Vasant Ritu Main Festivals:-


१ . तिल चतुर्थी 
२ . शष्ठिला एकादशी 
३. मौनी अमावस्या 
४. गुप्ता नवरात्री आरम्भ 
५. गणेश जयंती 
६. वसंत पंचमी  
७. नर्मदा जयंती ,भानु सप्तमी 
८. जया एकादशी  
९ . गुरु रविदास जयंती ,ललिता जयंती ,माघ पूर्णिमा 
१०. यशोदा जयंती 
११. शबरी जयंती 
१२. जानकी जयंती 
१३. विजया एकादशी 
१४. महाशिवरात्रि 
१५. होली 
१६. रंग पंचमी 
१७ .पाप मोचिनी एकादशी 
१८ .गुड़ी पड़वा 
१९ .कामदा  जयंती 

वसंत ऋतू पंचमी महत्व | Vasant Panchami Importance:-


वसंत पंचमी माघ के महीने में आती हैं,इस दिन वसंत ऋतु का प्रारम्भ होता हैं ,वसंत को ऋतू राज माना जाता हैं यह पूरा माह बहुत शांत एवं संतुलित होता हैं इन दिनों  मुख्य पांच तत्त्व ( जल,वायु,आकाश,अग्नि एवं धरती ) संतुलित अवस्था में होते हैं और इनका ऐसा व्यवहार प्रकृर्ति को सुन्दर एवं मनमोहक बनाता हैं अर्थात इस दिनों न बारिश होती हैं, ना बहुत ठंडक और ना ही गर्मी का मौसम  होता हैं, इसलिए इसे सुहानी ऋतू माना जाता हैं ।

वसंत में सभी जगह हरियाली का दृश्य दिखाई पड़ता हैं।पतझड़ ख़तम होते ही पेड़ो पर नई शाखायें जन्म लेती हैं ,जो प्राकृतिक सुंदरता को और अधिक मनमोहक कर देती हैं।

वसंत पंचमी पौराणिक एवम ऐतिहासिक कथा | Vasant Panchami Story:-


ब्रम्हाण्ड की संरचना शुरू करते समय ब्रम्हा जी ने जीवों, खासतौर पर  मनुष्य योनि को बनाया ,अपनी रचना से वे संतुष्ट नहीं थे, उनके मन में दुविधा थी उन्हें चारों तरफ सन्नाटा सा महसूस हुआ ,तब उन्होंने भगवान विष्णु से अनुमति ले कर अपने कमंडल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा इसके बाद वृक्षों के बीच से एक  अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ, जो उनकी मानस पुत्री कहलाई ,जिन्हे सरस्वती देवी के रूप में जानते हैं ,इस देवी के प्राकट्य होने पर इनके एक हाथ में वीणा,दूसरी में पुस्तक और अन्य में माला थी।ब्रम्हा जी ने देवी से वीणा वादन को कहा,तब देवी सरस्वती ने जैसे ही स्वर को बिखेरा वैसे ही धरती में कंपन हुआ और मनुष्य को वाणी मिली और धरती का सन्नाटा खत्म हो गया।धरती पर पनपते हर जीव-जंतु ,वनस्पति एवम जल धारा में एक आवाज शुरू हो गई और सब में चेतना का संचार होने लगा ।इसलिए इस दिवस को सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता हैं।ऋग्वेद में माँ सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है :-

प्रणों  देवी  सरस्वती  वाजेभिर  वाजिनीवति  धीनां  वित्र्यवतु ।।

अर्थात यह परम चेतना है माँ सरस्वती के रूप में यही हमारी बुद्धि ,प्रज्ञा  तथा मनोवृतियों की संरक्षिका है ।
हमारे जो आचरण और हमारी जो मेघा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही है । इनकी समृद्धि  और स्वरूप का वैभव अद्भुत है |


रामायण काल के पौराणिक कथानुसार जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया, तब माता सीता ने अपने आभुषणों को धरती पर फेका था , जिससे उनके अपहरण मार्ग की जानकारी प्रभु श्री राम को मिल सके। उन्हीं एक-एक आभूषण के जरिये प्रभु श्री राम से माता सीता को तलाश करना शुरू किया।उसी खोज के दौरान भगवान राम दंडकारण्य पहुंचे, जहाँ वे शबरी से मिले।वहां उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाकर शबरी के जीवन का उद्धार किया । कहा जाता हैं वह दिन वसंत पंचमी का दिन था, इसलिए आज भी इस स्थानों पर शबरी माता के मंदिर में वसंत उत्सव मनाया जाता हैं।

ऐतिहासिक कथानुसार इतिहास वीरों के बलिदानोँ से भरा पड़ा हैं।ऐसी ही एक कथा पृथ्वीराज चौहान की हैं जो वसंत पंचमी से जुडी हुई हैं ।मोहमद गौरी  ने भारत पर १७ बार हमला किया ,जिनमे से १६ बार उसे मुंह की की पड़ी ,पृथ्वीराज चौहान ने उसे मृत्यु नहीं दी और छोड़ दिया ,लकिन हर बार उसने फिर से हमला किया । जब उसने सत्रवीं बार हमला किया ,तब वह जीत गया ,लकिन उसने पृथ्वीराज चौहान को जीवन नहीं बल्कि अपने कारागार  में डाल दिया और उसने उनकी आँख  फोड़कर उसमे लाल मिर्च डालकर उन्हें बहुत तड़पाया ,लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने अपने घुटने नहीं टेके ।

वसंत पंचमी में सरस्वती पूजा का महत्व | Vasant Panchmi Saraswati Pooja Mahatav:-


माघ की पंचमी जिस दिन से वसंत का आरम्भ होता हैं , उसे ज्ञान की देवी सरस्वती के जयंती के रूप में मनाया जाता हैं ।मुख्यतः बिहार ,पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश ,मध्य भारत एवं पंजाब प्रान्त के साथ-साथ नेपाल तथा पश्चिमोत्तर बांग्लादेश में मनाई जाती हैं ।सरस्वती पूजन कर विधि विधान से सरस्वती वंदना के साथ वसंत पंचमी का उत्सव पूरा किया जाता हैं ।

वसंत पंचमी  कैसे मनाई जाती हैं ? | how vasant Panchmi is celebrated?:-



वसंत पंचमी को एक मौसमी त्यौहार के रूप में भिन्न-भिन्न प्रांतीय मान्यता के अनुसार मनाया जाता हैं ।कई पौराणिक कथाओं के महत्व को धयान में रखते हुए भी इस त्यौहार को मनाया जाता हैं



  • बिहार में बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा का व‍िशेष महत्‍व है ,न सिर्फ घरों में बल्‍कि श‍िक्षण संस्‍थाओं में भी इस दिन सरस्‍वती पूजा का आयोजन किया जाता है, इस दिन बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं जिसमें माँ सरस्वती के प्रतिमा स्थापित की जाती हैं एवं विद्या की देवी सरस्‍वती की पूजा कर उन्हें कमल पुष्प ,अबीर-गुलाल,फल अर्पित किये जाये हैं तथा वाद्य यंत्रों और किताबों की भी पूजा की जाती है । इस दिन छोटे बच्‍चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है। उन्‍हें किताबें भी भेंट की जाती हैं,पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, पीले चावल या पीले रंग का भोजन किया जाता है। जिसमे प्रसाद में बेर, बुनिया और खचड़ी चढ़ाया और ग्रहण किया जाता है ।खेत खलियानो में भी हरियाली का मौसम होता हैं ,यह उत्सव किसानों के लिए भी बहुत महत्पूर्ण हैं इस समय खेतों में पीली सरसों लहराती हैं किसान भाई भी फसल आने की खुशी में यह त्योहार मानते हैं ।



  • दान का भी बहुत महत्त्व होता हैं वसंत पंचमी के समय अन्न दान ,वस्त्र दान का महत्व होता हैं आजकल सरस्वती जयंती को धयान में रखते हुए गायब बच्चो को शिक्षा के लिए दान दिया जाता हैं।इस दान का सवरूप धन अथवा अध्ययन में काम आने वाली वस्तुओं जैसे किताबे,कॉपी ,पेन आदि होता हैं ।



  • पश्चिम बंगाल में भी इस उत्सव की धूम होती हैं यहाँ संगीत कला को बहुत अधिक पूजा जाता हैं इसलिए वसंत पंचमी पर कई बड़े-बड़े  आयोजन किये जाते हैं जिसमें भजन ,नृत्य आदि होते हैं ,कामदेव और देवी रति की पौराणिक कथा का भी महत्व वसंत पंचमी से जुड़ा हुआ हैं इसलिए इस दिन कई रासलीला उत्सव भी किये जाते हैं ।



  • गुजरात प्रान्त में गरबा करके माँ सरस्वती की पूजन किया जाता हैं यह खासकर किसान भाई मनाते हैं ।



  • पंजाब में पतंग बाजी कर के वसंत पंचमी मनायी जाती हैं जिसे महाराणा रंजीत सिंह ने शुरू किया था । इस दिन बच्चे दिन-भर रंग बिरंगी पतंग उड़ाते हैं और कई जगह प्रतियोगिता के रूप में पतंगबाजी की जाती हैं ।



  • वसंत ऋतू में पवित्र स्थानों ,तीर्थ स्थानों  के दर्शन का महत्त्व होता हैं साथ ही नदियों पर वसंत शाही स्नान का महत्त्व होता हैं ।प्रयाग त्रिवेणी संगम पर भी भक्तजन स्नान के लिए जाते हैं ।



  • वसंत के उत्सवों में कई स्थान पर मेला लगता हैं पवित्र नदियों के तट,तीर्थ  स्थानों एवं पवित्र स्थानों पर वसंत मेला लगता हैं जहाँ देशभर के भक्तजन एकत्र  होते हैं।


वसंत ऋतू का महत्त्व अधिक होता हैं यह ऋतुराज माना जाता हैं ,इन दिनों प्राकृतिक बदलाव होते हैं जो मनमोहक एवं सुहावने होते हैं ।इस ऋतू  में कई त्यौहार मनाये जाते हैं ।जिनमे वसंत पंचमी के दिन इस ऋतू में होने वाले बदलाव को महसूस किया जाता हैं ।अतः इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं ।

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