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सावन में लोकगीत कजरी गाने की परंपरा है। यह परंपरा अब भी अलग-अलग रूपों में कायम है। इन गीतों में हमें सावन सुनाई व दिखाई देता है। बरसती फुहारों में भीगे तन-मन को यह गीत आज भी नई उमंगों-तरंगों से भिगो डालते हैं।ऐसे में पिया साथ हो, तब तो मन यही गाएगा "सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे "। सावन की फुहारें पूरी फिजा में बहारें भर देती हैं, फिर यह कैसे हो सकता है कि प्रेमी गण इनके संग आवाज मिलाने से रह जाएँ।
इंसान ही नहीं बल्कि प्रकृति भी सावन का भरपूर अंदाज में स्वागत करती है। हवा के हिंडोले पर सवार होकर वर्षा की बूँदें चली आती हैं और शोख पवन शोर मचा-मचाकर सावन के आगमन का संदेश सुनाता है। यह सन्देशा सुन जिया का झूमना स्वाभाविक ही है।तो आइये सावन के गीत गा कर सावन माह को और सुहावना बनाते हैं - सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे गीत के साथ !!
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⭐लिरिक्स ⭐
सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे -३
१। कि मोरो पिया हो ,कहमाँ से आये बदरिया -२
कहमाँ झड़ी लागे हो धीरे-धीरे -२
(सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे )-२
२। कि मोरो धानि हो पूरब से आईल बदरिया -२
पश्चिम झड़ी लागे हो धीरे-धीरे -२
(सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे )-२
३। कि मोरो पिया हो खोल न बज्र केमरिया-२
चुनर मोरा भींजे हो धीरे-धीरे -२
(सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे )-२
४। कि मोरो पिया हो ,लाव न लाली दोलईया -२
बदन मोरा काँपे हो धीरे-धीरे -२
(सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे )-२
४। कि मोरो पिया हो ,लाव न लाली दोलईया -२
बदन मोरा काँपे हो धीरे-धीरे -२
(सावन झड़ी लागे,हो धीरे-धीरे )-२
⭐ LYRICS ⭐
Sawan Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere -3
1। Ki Moro Piya Ho ,Se Aaye Badariya -2
Kehman Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere -2
(Sawan Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere)-2
2। Ki Moro Dhani Ho Purab Se Aaaiyl Badariya -2
Pachchim Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere -2
(Sawan Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere)-2
3। Ki Moro Piya Ho Khol na Bajra Kemariya-2
Chunar Mora Bhije, Ho Dhere-Dhere -2
(Sawan Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere)-2
4। Ki Moro Piya Ho,Lav na Lali Dolaiya -2
Badan Mora Kapa Ho Dhere-Dhere-2
(Sawan Jhari Lage,Ho Dhere-Dhere)-2
Lyricist : Unknown
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