फारस का राजा और बादशाह अकबर (Akbar) बहुत अच्छे दोस्त थे। वे दोनों एक दूसरे को पहेलियां व चुटकुले भेजा करते थे। उन्हें एक दूसरे से उपहार प्राप्त करने में आनन्द प्राप्त होता था, जिससे उन्हें अपनी दोस्ती को बनाए रखने में मदद मिलती थी।
एक दिन बादशाह अकबर (Akbar) को फारस के राजा से एक बड़ा से पिंजरा और उसमें नकली शेर तथा एक पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में लिखा था, "क्या आपके राज्य का कोई बुद्धिमान व्यक्ति बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर निकाल सकता है। यदि पिंजरा खाली नहीं हुआ तो मुगल साम्राज्य, फारस साम्राज्य की संप्रभुता के अधीन आ जाएगा।"
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अकबर (Akbar) ने उत्सुकता भरी नजरों से एक के बाद एक सारे दरबारियों की ओर देखा और कहा, "मैं जानता हूं कि आप सभी अपने क्षेत्र में बुद्धिमान और विषेशज्ञ हैं। क्या कोई बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर ला सकता है?" उसने फिर अपने दरबारियों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखा। प्रत्येक दरबारी अपने-अपने आसन पर जमा हुआ बैठा था। सारे के सारे हैरान और परेशान थे, क्योंकि यह उनकी समझ से परे था। वे एक दूसरे को देख रहे थे। वे सब निराश थे।
उस दिन बीरबल (Birbal) दरबार में अनुपस्थित था। वह कहीं सरकारी कार्य से व्यस्त था। अकबर (Akbar) ने सोचा कि काश बीरबल (Birbal) इस समय यहां होता। उन्होनें बीरबल (Birbal) को बुलाने के लिए दूतों को आदेश दिया।
अगले दिन अकबर (Akbar) अपने सिहांसन पर आराम से बैठे हुए थे। बाकी आसनों पर दरबारी बैठे हुए थे। एक आसन बीरबल (Birbal) के न आने से खाली था। तभी बीरबल (Birbal) ने दरबार में प्रवेश किया। उसने झुककर बादशाह को अभिवादन किया और कहा, "जहांपनाह! मैं आप की सेवा में उपस्थित हूं। मेरे लिए क्या आदेश है?"
अकबर (Akbar) ने संक्षेप में उसे पूरी बात बताई और फारस के राजा द्वारा भेजा गया पत्र उसके हाथ में रख दिया। बीरबल (Birbal) ने पत्र पढ़ा और पिंजरे की ओर नजर डाली।
बीरबल (Birbal) ने नौकर को बुलाया और एक लोहे की गर्म छड़ लाने को कहा। नौकर ने तुरन्त ही आदेश का पालन किया। बीरबल (Birbal) ने लोहे की गर्म छड़ से शेर को छुआ। शेर उस जगह से थोड़ा सा पिघल गया। वह तब तक उसे छूता रहा जब तक पूरा शेर पिघल नहीं गया।
फारस का दूत बीरबल (Birbal) की प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुआ। अकबर (Akbar) ने बीरबल (Birbal) से पूछा, "तुमने कैसे जान लिया कि यह शेर लाख का बना हुआ है?"
"बीरबल (Birbal) ने उत्तर दिया, हुजूर! पत्र के अनुसार यह पिंजरा बिना खोले इसे खाली करना था। लेकिन यह नहीं कहा गया था कि शेर को बरकरार रखना है। मैंने बस यह सोचने की कोशिश की कि यह लाख का भी बना हो सकता है।"
फारस का दूत अपने राज्य वापस चला गया और उसके साथ बीरबल (Birbal) की बुद्धिमानी की गाथाएं फारस तक जा पहुंची।
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नोट :- कहानियों द्वारा बच्चों का बौद्धिक और चारित्रिक निर्माण हो, यही इस अकबर और बीरबल के कहानियों के सीरीज का बिहारलोकगीत.कॉम पर पब्लिश करने की प्रेरणास्रोत है । प्राचीनकाल में संयुक्त परिवार में दादा-दादी ,नाना-नानी बच्चों का कहानियों के माध्यम से चारित्रिक, सांस्कारिक निर्माण करते थे । परन्तु आजकल एकल परिवार समय के आभाव में अपने दायित्वों से विमुख हो रहे हैं ।
हमारा प्रयास है कि अभिभावक अपने बच्चों का सुसंस्कारित ,चरित्रवान और योग्य नागरिक बना सकें एवं बच्चे भी कहानियों को पढ़कर लाभान्वित हों।
अकबर और बीरबल की कहानियां हमारे देश में सभी आयु के लोगों द्वारा पसंद की जाती है ।इन कहानियों के द्वारा बीरबल की हाजिरजवाबी, बुद्धि और तेज दिमाग का पता चलता है ।अकबर और बीरबल की प्रसिद्ध कहानियों को हमने इस वेबसाइट में संग्रहित किया है ।आप कमेंट द्वारा हमें लिख कर जरूर बताये की आपको हमारा यह प्रयास कैसा लगा?...
Akbar Birbal story in Hindi – The artificial lion in the cage
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