कब है दीपावली 2019: ऐसे समझें इस दिन के तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि,महत्व और पौराणिक कथाएं से लेकर आपके घर में सुख-समृद्धि लाने तक की पूजा |
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दिवाली पूजन मुहूर्त | Diwali Puja Muhurat 2019 :-
साल 2019 में कब है दीपावली | 27 अक्टूबर |
किस दिन | रविवार |
किसके द्वारा मनाया जाता है ये त्योहार | हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा |
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त का समय | 06:43 पी एम से 08:15 पी एम तक |
अवधि | 01 घण्टा 32 मिनट्स |
प्रदोष काल | 05:41 पी एम से 08:15 पी एम तक |
वृषभ काल | 06:43 पी एम से 08:39 पी एम तक |
अमावस्या तिथि प्रारम्भ | अक्टूबर 27, 2019 को 12:23 पी एम बजे |
अमावस्या तिथि समाप्त | अक्टूबर 28, 2019 को 09:08 ए एम बजे |
दिपावली के पूजा की तैयारी ऐसे करें :-
दिवाली पूजन सामग्री | Diwali Pujan Samagri :-
विस्तृत दीपावली पूजन विधि | Detailed Diwali Worship Method :-
- दीवाली की पूजा में सबसे पहले एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर मां लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर निम्न मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें। बाद में इसी तरह से स्वयं को तथा अपने पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।
- इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र बोलें तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए अपने आसन पर विराजमान हों
- इसके बाद
- इस पूरी प्रक्रिया के बाद मन को शांत कर आंखें बंद करें तथा मां को मन ही मन प्रणाम करें। इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें। संकल्प के लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल ले लीजिए। साथ में एक रूपए (या यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें। इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, सरस्वती तथा गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।
- इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। तत्पश्चात कलश पूजन करें फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। इन सभी के पूजन के बाद 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें। अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं। इसके बाद मां महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।
मां को रिझाने के लिए करें श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ
क्षमा-प्रार्थना करें
ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा :-
दिवाली पूजा के दौरान सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें –ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें। मंत्र के उच्चारण के बाद गणेश जी को मिठाई अर्पित करें।
ऐसे करें माँ लक्ष्मी की पूजा :-
कलश पूजा विधि :-
किसी भी पूजा विधि में कलश की महत्ता काफी मानी जाती है। जिस प्रकार दवियों-देवताओं की पूजा का एक विधान होता है वैसे ही कलश की भी होती है। कलश पूजा के लिए सबसे पहले कलश पर मोली बांधें इसके बाद उसपर आम का पल्लव रखें। पल्लव रखने से पहले कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखना ना भूलें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आवाहन करें। और इस मंत्र का उच्चारण करें- ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥
बही खाता पूजन:-
धनतेरस वाले दिन लाए गए नए बही खातों की दिवाली पर पूजा करनी चाहिए। इसके लिए शुभ मुहूर्त जरूर देख लें। नवीन खाता पुस्तकों में लाल चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। इसके बाद स्वास्तिक के ऊपर श्री गणेशाय नमः लिखना चाहिए। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए।
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दीपावली या दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसके क्या कारण है? ( Reasons To Celebrate Diwali) –
- लक्ष्मी मां का जन्मदिन- इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था और उनका विवाह भी भगवान विष्णु से इसी दिन हुआ था। कहाँ जाता है कि हर साल इन दोनों की शादी का जश्न हर कोई अपने घरों को रोशन करके मनाता है।
- लक्ष्मी मां को करवाया था रिहा- भगवान विष्णु के पांचवें अवतार ने कार्तिक अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी को राजा बाली की जेल से छुड़वाया था और इसके चलते ही इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
- जैन धर्म के लोगों के लिए विशेष दिन- जैन धर्म में पूजनीय और आधुनिक जैन धर्म के संस्थापक जिन्होने दीपावली के दिवस पर ही निर्वाण प्राप्त किया था और अपने धर्म के लिए इस दिन को महत्वपूर्ण बनाया।
- सिक्खों के लिए विशेष दिन- इस दिन को सिक्ख धर्म के गुरु अमर दास ने रेड-लेटर डे के रूप में संस्थागत किया था, जिसके बाद से सभी सिख्क, अपने गुरु का आशीर्वाद इस दिन प्राप्त करते हैं। सन् 1577 में दीपावली के दिन ही अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की आधारशिला भी रखी गई थी।
- पांडवों का वनवास हुआ था पूरा – महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही पांडवों का वनवास पूरा हुआ था और इनका बाराह साल का वनवास पूरा होने की खुशी में इनसे प्रेम करने वाले लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए थे।
- विक्रमादित्य का राज तिलक हुआ था- हमारे देश के महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य पर राज किया था, उनका राज तिलक भी इसी दिन किया गया था।
- कृष्ण जी ने नरकासुर को मारा था- देवकी नंदन श्री कृष्ण ने नरकासूर राक्षस का वध भी दीपावली से एक दिन पूर्व किया था। जिसके बाद इस त्योहार को धूमधाम से मनाया गया था।
- राम भगवान की घर वापसी की खुशी में – इस दिन भगवान राम जी अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना 14 साल का वनवास सफलता पूर्वक करके, अपने जन्म स्थान अयोध्या में लौटे थे। और इनके आने की खुशी में अयोध्या के निवासियों ने दीपावली अपने राज्य में मनाई थी। वहीं जब से लेकर अब तक हमारे देश में इस त्योहार को हर वर्ष मनाया जाता है।
- फसलों का त्योहार – खरीफ फसल के समय ही ये त्योहार आता है और किसानों के लिए ये त्योहार समृद्धी का संकेत होता है और इस त्योहार को किसान उत्साह के साथ मनाते हैं।
- हिंदू नव वर्ष का दिन – दीपावली के साथ ही हिंदू व्यवसायी का नया साल शुरू हो जाता है और व्यवसायी इस दिन अपने खातों की नई किताबें शुरू करते हैं, और नए साल को शुरू करने के पहले अपने सभी ऋणों का भुगतान करते हैं।
ऐसा करने से होंगी लक्ष्मी जी प्रसन्न:-
दिवाली को कहीं जुआ खेलना तो कहीं काजल लगाना है परंपरा:-
॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
॥ आरती श्री लक्ष्मी जी ॥
दीपावली का महत्व | Significance of Diwali:-
- दीपावली त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। और ये दिन लोगों को याद दिलाता है कि सच्चाई और भलाई की हमेशा ही जीत होती है।
- धारणाओं के मुताबिक, इस दिन पटाखे फोड़ना शुभ होता है और इनकी आवाज पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की खुशी को दर्शाती है, जिससे की देवताओं को उनकी भरपूर स्थिति के बारे में पता चलता है।
- इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और ऐसा माना जाता है कि अगर सच्चे मन से इस दिन मां की पूजा की जाए तो घर में पैसों की कमी नहीं होती है।
- इस अवसर पर लोग उपहारों का आदान प्रदान करते हैं और मिठाई से एक दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं और ऐसा करने से उनके बीच में प्यार बना रहता है। ये त्योहार लोगों को आपस में जोड़कर रखने का भी कार्य करता है।
बहुत ही अच्छा लेख।👍
🙏🙏🙏🙏🙏
शुभ दीपावली।