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होलिका दहन का पर्व आज शाम से पूरे देश में मनाया जाएगा। इसके बाद 10 मार्च 2020 को रंग वाली होली मनाई जाएगी। रंगों और उत्साह का पर्व होली आज होलिका दहन के साथ ही शुरू हो जाएगा।होली के खास मौके पर इस बार ग्रह-नक्षत्रों का बेहद खास संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग 499 साल बाद बना है। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुन पूर्णिमा सोमवार को है।इस दौरान गुरु बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। जिसे सुख-समृद्धि और धन-वैभव के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। देवगुरु धनु राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे। इससे पहले ग्रहों का यह संयोग 3 मार्च 1521 में बना था। एक ओर गुरु बृहस्पति जहां जहां ज्ञान, संतान, गुरु, धन-संपत्ती के प्रतिनिधि हैं तो वहीं शनि न्याय के देवता हैं।ज्योतिषानुसार शनि का फल व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार मिलता है। यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो उसे शनि अच्छे फल और बुरे कार्य करता है तो शनि उसे विभिन्न रूप में दंडित करता है। होली पर इन दोनों ग्रह की शुभ स्थिति किसी शुभ योग से कम नहीं है।
होलिका दहन 2020 पूजा की विधि और पूजन मुहूर्त
होलिका पूजन मंत्र :-
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्तां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम।
राशियों के अनुसार होलिका में डालें आहुति :-
- मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
- वृष राशि वाले होलिका में चीनी की आहुति दें।
- मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें।
- कर्क के लोग लोहबान की आहुति दें।
- सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
- तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें।
- धनु और मीन के लोग जौ और चना की आहुति दें।
- मकर व कुंभ वाले तिल का होलिका दहन में आहुति दें।
करें ये उपाय, दूर होंगे मंगल दोष
इस बार होली मंगलवार को है। इसलिए भगवती और हनुमान जी की आराधना करें। उन्हें गुलाबी अबीर, अबरख, तुलसीपत्र और मंजरी अर्पित करें जिससे मंगल दोष से मुक्ति मिलेगी। मांगलिक कार्य भी बनेंगे।
नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने को होलिका दहन करें :-
पुराणों और शास्त्रों में चार सिद्ध रात्रि में से होलिका दहन वाली रात को भी सिद्ध रात्रि माना गया है। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए होलिका दहन को सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन किए गए प्रयोग से मनचाहा फल मिलता है। नवग्रह जनित पीड़ा से निवारण के लिए अपनी राशि के अनुसार होलिका दहन में लकड़ी जरूर अर्पित करनी चाहिए। फिर होलिका के सात फेरे लगाना चाहिए ।
- मेष और वृश्चिक राशि के लोग होलिका दहन के समय खैर की लकड़ी,
- वृष और तुला राशि वाले होलिका दहन वाले दिन गूलर की लकड़ी,
- मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए अपामार्ग की लकड़ी,
- धनु , कुंम्भ और मीन राशि के लोगों के लिए पीपल की लकड़ी होलिका में डालें।
- फिर राशि के अनुसार होलिका में द्रव्यों की आहुति डालें ।
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होलिका के इस उपाय से अपनी मुश्किलों से ऐसे कम सकते हैं:-
- शरीर की उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
- सफलता प्राप्ति को होलिका दहन स्थल पर नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें।
- गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं।
- भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है।
- होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।
- घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतार कर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है।
- होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बांधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं।
- लगातार बीमारी से परेशान हैं तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज़ के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
- बुरी नजर से बचाव के लिए गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर इसे घर के मुख्य दरवाज़े पर लटका दें।
शादी नहीं हो रही है तो होली पर करें यह उपाय :-
जिन जातकों की शादी नहीं हो रही है और विलंब हो रहा है तो होली के दिन शिव मंदिर में पूजा करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर पान, सुपारी और हल्दी की गांठ भी अर्पित करें। शादी की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन के दौरान पांच सुपारी, पांच इलायची, मेवे, हल्दी की गांठ और पीले चावल लें जाए और इसकी पूजा कर इसे घर में देवी के सामने रख दें। ऐसा करने से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है और जल्द ही विवाह के योग बन जाते हैं। दांपत्य जीवन में शांति के लिए होली की रात उत्तर दिशा में एक पाट पर सफेद कपड़ा बिछा कर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल के ढेर पर नव ग्रह यंत्र स्थापित करें। इसके बाद केसर का तिलक कर घी का दीपक जला कर पूजन करें।
नवविवाहिताओं को होली पर जाना चाहिए मायके :-
शास्त्रीय परम्परा के अनुसार नवविवाहिता को अपनी पहली होली पर मायके जाना चाहिए। होली के मौके पर सभी नई दुल्हन अपनी पहली होली अपने मायके में ही मनाती हैं। इस परंपरा को सालों से निभाया जा रहा है। होली के मौके पर नवविवाहिता अपने मायके चली जाती है और वहीं पर अपनी पहली होली मनाती है। माना जाता है कि शादी के बाद पहली होली पिहर में खेलने से एक नवविवाहिता का जीवन सुखमय और सौहार्द पूर्ण बीतता है। इसके साथ ही कुछ जगहों पर यह रिवाज इसलिए भी है कि शादी के बाद मायके में होली और पति से दूरी उनके बीच के प्रेम को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।
पहली होली नवविवाहिता और सास के लिए अशुभ :-
पहली होली सास और बहू एक साथ कभी नहीं देखती, क्योंकि सास और नई बहू का एक साथ होली को जलते देखना अशुभ माना जाता है, जिसका असर घर के लोगों पर पड़ता है। यह भी मत है कि यदि कोई सास और नविवाहिता एक साथ होली को जलता हुआ देखती है तो उनमें से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है। इसी कारण से पहली होली पर नवविवाहिता अपने मायके जाकर ही पहली होली खेलती है। पति और पत्नी के बीच इस अहसास को बढ़ाने के लिए मायके में पहली होली मनाने की परम्परा शुरू की गई थी।
वायरस से बचने को होलिका में डालें हवन सामग्री :-
होलिका दहन में प्रत्येक परिवार से आधा किलो हवन सामग्री के साथ 50 ग्राम कपूर और 10 ग्राम सफेद इलायची मिलाकर होलिका में अवश्य डालें, जिससे प्रदूषित वातावरण शुद्ध होगा, कोरोना जैसे वायरस भी नष्ट हो सकेंगे। इसके बाद प्रतिदिन सुबह गाय के गोबर से बने कंडे को जला कर अपने इष्ट का 21 बार नाम लेकर आहुति देकर हवन अवश्य करें। ऐसा करने से कोरोना जैसे वायरस से बचाव हो सकेगा।
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