मां दुर्गा का पावन स्वरूप। शक्ति का प्रतीक हे मां दुर्गा। भक्तों की रक्षा करती है |
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मां दुर्गा का पावन पर्व चैत्र नवरात्रि चल रहा है।माँ दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और जग्दम्बा भी कहते हैं । शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।
देवी दुर्गा की एक कहानी के अनुसार एक बार देवताओं ने उनसे पूछा कि, "देवी, आपने इन शस्त्रों को क्यों उठा रखा है? आप अपनी एक हुंकार से सभी दानवों का विनाश कर सकती हैं।" तब कुछ देवताओं ने स्वयं ही उत्तर देते हुए कहा, "आप इतनी दयावान हैं, कि आप दानवों को भी अपने शस्त्रों के माध्यम से शुद्ध कर देना चाहती हैं। आप उन्हें मुक्त करना चाहती हैं, और इसीलिये आप ऐसा कर रहीं हैं।"
मां दुर्गा के अलग-अलग शस्त्रों को धारण करने के पीछे कई संदेश छिपे हुए हैं।आइए, आज जानते हैं मां दुर्गा के अलग-अलग शस्त्रों को धारण करने के पीछे क्या संदेश छिपे हुए हैं...
भगवान भी कर्म करते हैं:-
दुर्गा मां के कई हाथ होते हैं जिसका अर्थ है कि भगवान भी कर्म करते हैं और केवल एक हाथ से नहीं, हज़ारों हाथों से और हज़ारों तरीकों से देव, दानव और मनुष्यों को उनके कर्मो के हिसाब से उनको फल देती हैं।
मां के हाथ में सुदर्शन चक्र:-
मां दुर्गा की तर्जनी में घूमता सुदर्शन चक्र इस बात का प्रतीक है कि पूरी दुनिया उनके अधीन है। सब उनके आदेश में हैं। वह बुराई को नष्ट कर धर्म का विकास करेगा और धर्म के अनुकूल वातावरण तैयार करने और पापों का नाश करने में सहायक होगा।
मां के हाथ में कमल क्यों!
माता के हाथों में कमल का फूल है।मां फूल से भी दुष्टों का विनाश करने की शक्ति रखती हैं। जो हमें बताता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखने और कर्म करने से सफलता अवश्य मिलती है। जिस प्रकार कमल कीचड़ में रहकर उससे अछूता रहता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी सांसारिक कीचड़, वासना, लोभ, लालच से दूर होकर सफलता को प्राप्त करना चाहिए। खुद में आध्यात्मिक गुणवत्ता को विकसित करना चाहिए।
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पवित्रता का प्रतीक शंख:-
शंख ध्वनि व पवित्रता का प्रतीक है। यह ध्वनि शांति और समृद्धि की सूचक है।शंख का उपयोग मां ज्ञान प्रसारण के लिए करती है। मां के हाथों में शंख इसी बात का संदेश देता है कि मां के पास आने वाले सभी भक्त पूर्णत: पवित्र हो जाते हैं। मां की भक्ति से हमारे मन से बुरे विचार स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।यह इस बात का प्रतीक है कि इस विश्व में परिवर्तन लाने के लिए, केवल कोई एक ही युक्ति काम नहीं करती।आपको बहुत से तरीके ढूँढने पड़ते हैं।
मां के हाथ में सुदर्शन चक्र:-
मां दुर्गा की तर्जनी में घूमता सुदर्शन चक्र इस बात का प्रतीक है कि पूरी दुनिया उनके अधीन है। सब उनके आदेश में हैं। वह बुराई को नष्ट कर धर्म का विकास करेगा और धर्म के अनुकूल वातावरण तैयार करने और पापों का नाश करने में सहायक होगा। इस संसार में परिवर्तन के लिए एक ही युक्ति से काम नहीं होता है।
मां के हाथों में तलवार:-
मां दुर्गा के हाथ में सुशोभित तलवार की तेज धार और चमक ज्ञान का प्रतीक है। यह ज्ञान सभी संदेहों से मुक्त है। इसकी चमक और आभा यह बताती है कि ज्ञान के मार्ग पर कोई संदेह नहीं होता है।
मां के हाथों में 'ओम' :-
इसी तरह दुर्गाजी के हाथ में इंगित ऊं परमात्मा का बोध कराता है। ऊं में ही सभी शक्तियां निहित हैं।
मां को प्रिय है लाल रंग:-
नवरात्र के अवसर पर नवदुर्गाओं को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, फूल-फल और श्रृंगार की वस्तुएं लाल रंग की होती हैं। जब कलश की स्थापना की जाती है, तो उसके ऊपर भी लाल कपड़े में लिपटा हुआ नारियल रखा जाता है। लाल मौली से ही रक्षा सूत्र बांधी जाती हैं।
देवी को समर्पित चीजों में भी कहीं-न-कहीं लाल रंग का अवशेष, इसलिए रखा जाता है, ताकि पूजा अनुष्ठान में अग्नि तत्व ग्रह सूर्य और मंगल ग्रह की अनुकंपा बनी रहे। सूर्य को रुद्र यानी अग्नि भी कहते है। अग्नि और रुद्र का स्वरूप लाल ही होता है। मंगल जो कि सूर्य के समान तेजोमय हैं, का रंग भी लाल ही है। इसलिए मां दुर्गा को लाल चीजें ही ज्यादातर भेंट की जाती हैं।
ऊर्जा का प्रतीक तीर-धनुष :-
दुर्गा जी द्वारा धारित तीर-धनुष ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह मां दुर्गा के हाथ में धारण वज्र दृढ़ता का प्रतीक है। अपने कार्य और भक्ति के प्रति दृढ़ता होनी चाहिए। वज्र की तरह दृढ़ रहें खुद को प्रभावित न होने दें, वज्र यही संकेत देता है।
मां के हाथों में त्रिशूल:-
त्रिशूल तीन गुणों का प्रतीक है। संसार में तीन तरह की प्रवृत्तियां होती हैं- सत यानी सत्यगुण, रज यानी सांसारिक और तम मतलब तामसी प्रवृत्ति। त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। त्रिशूल का यही संदेश है।
सिंह की सवारी:-
सिंह को उग्रता और हिंसक प्रवृत्तियों का प्रतीक माना गया है। मां दुर्गा सिंह पर सवार है, इसका मतलब यही है कि जो उग्रता और हिंसक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण पा सकता है, वही शक्ति है। मां दुर्गा हमें यही संदेश देती हैं कि जीवन में बुराई और अधर्म पर नियंत्रण कर हम भी शक्ति संपन्न बन सकते हैं और अधर्म पर नियंत्रण कर धर्म की राह पर चल सकते हैं।
अपने शस्त्रों के माध्यम से दानवों को मुक्त करना चाहती हैं:-
मां जितनी शक्तिशाली है उतनी ही दयावान भी है वह दानवों को भी अपने शस्त्रों के माध्यम से शुद्ध कर देना चाहती है, उन्हें मुक्त करना चाहती है।इसका तात्पर्य यह है कि हर समस्या के बहुत से समाधान हो सकते हैं और इसीलिये देवी इतने सारे अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित हैं।
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