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कोरोना संकट के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश से एक बार फिर अपील की है कि वह इस संकट की घड़ी में एकजुटता दिखाएं। इसके लिए इस बार प्रधानमंत्री ने 5 अप्रैल रविवार को रात 9 बजे 9 मिनट सभी लोगों से घर की लाइट बुझाकर दीप, मोमबत्ती जलाने का आग्रह किया है। इससे पहले मोदी ने 22 मार्च को कोरोना संकट में एक जुटता के लिए शाम 5 बजे ताली-थाली बजाने का आह्वान किया था। क्या मोदी की यह पहल महज एकजुटता के लिए है या इसके पीछे कुछ और भी रहस्य है आइये जानते हैं विस्तार में :-
वेद पुराण के अनुसार :-
अंधकार और आसुरी शक्तियां हारेंगी:-
धर्मिक दृष्टि से देखा जाए तो दीप का बड़ा ही महत्व है। हिंदू धर्म में दीप को आत्मा और ईश्वर का प्रतीक तक माना गया है। यह धर्म और विजय का सूचक भी होता है। धर्म ग्रंथों में रोग को अंधकार और आसुरी शक्तियों का सहायक माना गया है। जिसे हराने के लिए दैवी शक्ति के प्रतीक चिह्न के रूप में हर शाम दीप जलाने की बात कही गई है।
दीप की ज्योति के बारे में कहा गया है:-
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।
यानी दीप की रोशनी परब्रह्म का स्वरूप है, यह नारायण रूप है। संध्या काल में जलाया जाने वाला दीप ना सिर्फ अंधकार यानी नकारात्मक ऊर्जा का हरण करता है बल्कि अनजाने में हुए पाप का भी शमन करता है। दीप शत्रुओं का विनाश करता है और आरोग्य एवं सुख प्रदान करता है।
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि हर शाम सूर्य देव का आसुरी शक्तियों से युद्ध होता है। आसुरी शक्तियों से विजय पाने में सूर्य देव को बल की आवश्यकता होती है। इसके लिए संध्या पूजन का विधान बनाया गया है। यही वजह है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि और सामान्य गृहस्थ भी सुबह और शाम निश्चित रूप से पूजा किया करते थे। घर में शाम के समय दीप जलाने और धूप-दीप दिखाने की परंपरा भी यहीं से चली आ रही है। इससे आसुरी शक्तियां यानी नकारात्मक ऊर्जा, रोग, दोष का शमन होता है।
ऋग्वेद में दीप के बारे में कहा गया है:-
अयं कविकविषु प्रचेता मत्र्येप्वाग्निरमृतो नि धायि।
समानो अत्र जुहुर: स्हस्व: सदा त्व्सुमनस: स्याम।।
अर्थ:- हे दीप तुम अज्ञानी में ज्ञान स्वरूप यानी अकवियों में कवि बनकर, मरे हुए में अमृत बनकर रहने वाले हो। हे देव रूप प्रकाश आपसे हमें अंधकार को मिटाकर आगे बढ़ने और ऊंचा उठने की प्रेरणा मिले और हमारा जीवन सुखी हो। इसलिए धर्म ग्रंथों में दीप को बुझाना घोर पाप कहा गया है और जो नियमित दीप जलाते हैं उनके लिए उत्तम लोक पाने की बात कही गई है।
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5 अप्रैल को बन रहा हैं शुभ संयोग:-
हिंदू धर्म में तो युगों से परंपरा चली आ रही है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की शाम में एक दीप घर की छत पर जलाकर लोग रख देते हैं जिनमें कौड़ी भी लोग डाल देते हैं। ऐसी मान्यता चली आ रही है कि इससे यमराज प्रसन्न होते हैं अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। संयोग की बात यह है कि 5 अप्रैल रविवार को संध्या काल में त्रयोदशी तिथि लग रही है। धर्म ग्रंथों के अनुसार त्रयोदशी तिथि की देवी जया हैं जो देवी दुर्गा के साथ चलने वाली योगिनी हैं। यही देवी युद्ध के मैदान में आगे बढ़कर योद्धाओं को विजयी बनाती हैं। इसलिए आम दिनों में भी त्रयोदशी तिथि को एक दीपक घर के बाहर जलाना बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है। यहां आपको बता दें कि दीप कभी भी सम संख्या में नहीं जलाना चाहिए, यानी 1 जलाएं, 3 जलाएं या 5 पांच।
ज्योतिष- शास्त्र के अनुसार :-
ज्योतिष शास्त्र को उपाय, वैज्ञानिक और भविष्यवाणी अध्ययन का विषय भी कहा जाता है। मोदी जी के चुने हुए 5 अप्रैल का दिन और 9 बजे का टाइम इसलिए चुना है क्योंकि यह समय आपको इस महामारी से लड़ने का शक्ति देगा। सारे ग्रहों को मजबूत करने के लिए आप भी शक्ति की रौशनी 5 अप्रैल को, 9 बजे और 9 मिनट के लिए यह दीया जलाए।
9 ही बजे का समय ही क्यों ?
9 नंबर मंगल ग्रह का होता है। यानी कि मंगल मजबूत करने के लिए और मन की शक्ति बनाए रखने के लिए यह समय सबसे अच्छा है। ऊपर से यह दीया 9 मिनट के लिए ही जला कर रखना है।
5 तारीख ही क्यों ?
सबसे पहले तो 5 तारीख को ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करेंगे यानी कि सूर्य में और सूर्य का सीधा मतलब होता है रौशनी। यानी की इस दिन आपके चन्द्रमा को मजबूत करने के लिए सबसे अच्छा दिन है। आपको बता दें कि चन्द्रमा से मन की शक्ति बढ़ती है।
क्या करें और क्या नहीं ?
इतने पावन दिन पर आपको कुछ सावधानियां भी बरतनी होंगी। जिससे आपको और आपके परिवार को इसका पूरा लाभ मिल सके :-
- अगर आप दीया जला रहें है तो मंत्र का जाप भी करें। जब रौशनी और ध्वनि का मिलन होता है तो लड़ने की ऊर्जा प्राप्त होती है। यह आपको वातावरण में फैली बीमारी से बचाएगा।
- एलोक्ट्रॉनिक लाइट का इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे राहु का असर तेज होता है। हमें इस वक़्त राहु के असर को ही कम करना हैं।
आपका दिया कैसा हो?
- अगर आप सरसों के तेल का ही दीप जलाए जो यह सबसे अच्छा होगा , इससे आपको स्वास्थ लाभ होगा ।
- अगर आप घी का दिया जलाते हैं तो उसमे थोड़ा कपूर मिलाये ।
- अगर आप तिल के तेल का दिया जलाते हैं तो है तो उसमें आप एक लौंग डाल सकते हैं ,इससे शनि मजबूत होगा और बीमारियाँ कम होगी ।
- अगर आप कैंडल जला रहें है तो उसमें ज्वार भी डालें। ताकि राहु के स्थिति को कम किया जा सके ।
अंक-विज्ञान के अनुसार :-
अंक-विज्ञान के अनुसार 5 अंक का स्वामी बुध है। बुध गला, फेफड़ा और मुख का कारक ग्रह होता है। वर्तमान में विश्वव्यापी महामारी कोरोना मनुष्य के मुख, फेफड़े और गले को ही अपना निशाना बनाए हुए है। बुध ग्रहों का राजकुमार तथा वर्तमान सम्वत् 2077 का अधिपति भी है। अतः 5 अप्रैल इस दृष्टि से भी अनुकूल है।
करोड़ों दीपक सूर्य को देंगे बल :-
रविवार सूर्य का दिन होता है। सूर्य नवग्रह का अधिपति है। समस्त ग्रह सौर ऊर्जा से ही प्रभावित हैं। सूर्य दीपक या प्रकाश का प्रतीक है, अतः 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे से 9 मिनट तक यमघण्ट काल को करोड़ों प्रज्वलित दीपक सूर्य को बल प्रदान करेंगे।
चन्द्रमा अमृत-वृष्टि के लिए होगा बाध्य:-
नौ का अंक मंगल ग्रह का प्रतीक है। मंगल सौरमंडल का सेनापति होने के कारण महामारी अन्धकार को नष्ट करने में सूर्य का अपूर्व सहयोग करेगा। रात्रि या अन्धकार शनि का प्रतीक है और शनि सूर्य से अर्थात् अन्धकार प्रकाश से दूर होता है। अतः रविवार 5 अप्रैल को जो पूर्णिमा के नज़दीक की तिथि है, उस दिन चन्द्र की मज़बूती के लिए सभी प्रकाश बन्द कर दीपदान करना चन्द्रमा को अमृत-वृष्टि के लिए बाध्य करेगा।
सूर्य को जागृत करने का सार्थक प्रयास:-
चौघड़िया (मुहूर्त) अमृत की रहेगी। होरा भी उस वक़्त सूर्य का होगा। अतः इस दीपदान प्रक्रिया से शनि-काल में भी ऊर्जा के स्रोत सूर्य को जागृत करने का सार्थक प्रयास होगा।9/9 पर मंगल-सूर्य साथ होंगे, जो मेष राशि की ओर जाते हुए विषाणु जनित व्याधि को नष्ट करने में पूर्ण सक्षम होंगे। अतः इस दृष्टि से भी सूर्य-मंगल की सकारात्मकता के लिए भी दीपदान आवश्यक है।
शनि-राहु रूपी अन्धकार (कोरोना महामारी) को उसी के शासन-काल में बुध, सूर्य, चन्द्र और मंगल मिलकर नष्ट करने का संकल्प लेंगे। वर्तमान प्रमादी नाम सम्वत्-2077 का अधिपति बुध, मंत्री-चन्द्रमा, रक्षा-मंत्री मंगल तथा फलेश (फलदाता) सूर्य हैं। ऐसे में दीपदान से कोराना जैसे अंधकार को दूर करने में मदद मिलेगी।
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