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कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो ....
ॐ जय महा....॥
सिद्धारथ घर जन्में, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी।
बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तपधारी॥
ॐ जय महा....॥
आतम ज्ञान विरागी, समदृष्टि धारी।
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति धारी॥
ॐ जय महा....॥
जग में पाठ अहिंसा, आप ही विस्तारयो।
हिंसा पाप मिटा कार, सुधर्म परिचारयो॥
ॐ जय महा....॥
यही विधि चाँदनपुर में, अतिशय दर्शायो।
ग्वाल मनोरथ पूरयो, दूध गाय पायो॥
ॐ जय महा....॥
प्राणदान मंत्री को, तुमने प्रभु दीना।
मंदिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना॥
ॐ जय महा....॥
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जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी॥
ॐ जय महा....॥
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर जावे।
धन, सुत सब कुछ पावै, संकट मिट जावै॥
ॐ जय महा....॥
निश दिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरै।
हरि प्रसाद चरणों में, आनंद मोद भरै॥
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