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रामायण और भगवान राम से हिन्दुओं की आस्था जुड़ी हुई है, लेकिन अकसर ये सवाल उठते रहे हैं कि क्या सच में भगवान राम का इस धरती पर जन्म हुआ था? क्या रावण और हनुमान थे? सतयुग काल में धरती पर भगवान राम के होने की बात कही जाती है। इस पूरे घटनाक्रम का विवरण हिंदू ग्रंथ रामायण में देखने को मिलता है। इसमें रामायण से जुड़े कई ऐसे रहस्यों के बारे में बताया गया है, जो भगवान के धरती पर मौजूद होने का सबूत देते हैं।भारत और श्रीलंका में भी कुछ ऐसी जगहें हैं जो इस बात का प्रमाण देती हैं कि रामायण में लिखी हर बात सच है। तो आइये कौन-सी हैं वो बातें जानते हैं:-
1.भगवान राम के धरती पर होने का सबसे बड़ा सबूत रामसेतु का होना है। समुद्र के ऊपर श्रीलंका तक बने इस सेतु के बारे में रामायण में लिखा है गया है। इस पुल को पत्थर से बनाया था।
2.पुरातत्व विभाग के अनुसार 1,750,000 साल पहले श्रीलंका में सबसे पहले इंसानों के घर होने की बात सामने आई थी। राम सेतु भी उसी काल का है।
द्रोणागिरी पर्वत |
3.रावण की सेना से युद्ध के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने पर हनुमान जी संजीवनी लेने द्रोणागिरी पर्वत गए थे। जड़ी बूटी की पहचान न होने पर वे पूरा पर्वत ले गए थे। युद्ध के बाद उन्होंने द्रोणागिरी को वापस अपनी जगह पहुंचा दिया। पर्वत पर आज भी वो निशान मौजूद हैं जहां से हनुमान जी ने उसे तोड़ा था।
भगवान हनुमान के पद चिन्ह |
4. जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तो उन्होंने भव्य रूप धारण किया था। इसीलिए जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए थे, जो आज भी वहां मौजूद हैं।
5. श्रीलंका के उस स्थान पर जहां लक्ष्मण को संजीवनी दी गई थी, वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं। जबकि पूरे श्रीलंका में ऐसा नहीं होता और हिमालय की जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना इस बात का बहुत बड़ा प्रमाण है।
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6. लंकापति रावण जब सीता का हरण कर ले गया था, तब उसने देवी सीता को अशोक वाटिका में रखा था। ये जगह आज भी लंका में मौजूद है। इस जगह को Hakgala Botanical Garden कहते हैं और जहां सीता जी को रखा गया था उस स्थान को 'सीता एल्या' कहा जाता है।
7. रामायण के सुंदर कांड में बताया गया कि श्रीलंका की रखवाली के लिए रावण ने एक विशालकाय हाथी रखा था। हनुमान जी ने इसे धराशायी किया था। पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार आम हाथियों से बहुत ज़्यादा था।
कोंडा कट्टू गाला |
8. हनुमान जी के लंका जलाने से रावण डर गया था। दोबारा हमले से बचने के लिए रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। यहां पुरातत्व विभाग को कई गुफ़ाएं मिली हैं जो रावण के महल तक जाती हैं।
रावण का महल |
9. पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का ही बताया जाता है। यहां से कई गुप्त रास्ते निकलते हैं जो उस शहर के मुख्य केंद्रो तक जाते हैं। ध्यान से देखने पर ये पता चलता है कि ये रास्ते इंसानों द्वारा बनाए गए हैं।
कालानियां |
10. रावण के मरने के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। उन्होंने अपना महल कालानियां में बनवाया था। यह एक नदी के किनारे बसा है। पुरातत्व विभाग को कैलानी नदी से उस महल के कुछ अवशेष मिले हैं।
लंका जलने के अवशेष |
11. रामायण ग्रंथ के अनुसार हनुमान जी ने लंका की सोने की नगरी जलाकर स्वाहा कर दी थी। तभी आज भी श्रीलंका में कुछ जगहों की मिट्टी बिल्कुल काली है।
कोणेश्वरम मंदिर |
12. रावण भगवान शिव की अराधना करता था और उसने भगवान शिव के लिए इस मंदिर की भी स्थापना करवाई। यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान से ज़्यादा उनके भक्त रावण की आकृति बनी हुई है। इस मंदिर में बनी एक आकृति में रावण के दस सिरों को दिखाया गया है। कहा जाता है कि रावण के दस सिर थे और उसके दस सिर पर रखे दस मुकुट उसके दस जगहों के अधिपत्य को दर्शाता है।
गर्म पानी के कुएं |
13. रावण ने कोणेश्वरम मंदिर के पास गर्म पानी के कुएं बनवाए थे। ये कुएंजो आज भी वहां मौजूद हैं और इनसे गर्म पानी निकलता है।
दिवूरमपोला, श्रीलंका |
14. रावण से सीता को बचाने के बाद भगवान राम ने उन्हें अपनी पवित्रता साबित करने को कहा था, जिसके लिए सीता जी ने अग्नि परीक्षा दी थी। आज भी उस जगह पर वो पेड़ मौजूद है जिसके नीचे सीता जी ने इस परीक्षा को दिया था। उस पेड़ के नीचे वहां के लोग आज भी अहम फ़ैसले लेते हैं।
रामलिंगम |
15. रावण को मारने के बाद भगवान राम को पश्चाताप करना था क्योंकि उनके हाथ से एक ब्राहमण का कत्ल हुआ था। इसके लिए उन्होंने शिव की आराधना की थी। भगवान शिव ने उन्हें चार शिवलिंग बनाने के लिए कहा। एक शिवलिंग सीता जी ने बनाया जो रेत का था। दो शिवलिंग हनुमान जी कैलाश से लेकर आए थे और एक शिवलिंग भगवान राम ने अपने हाथ से बनाया था, जो आज भी उस मंदिर में हैं और इसलिए ही इस जगह को रामलिंगम कहते हैं।
जानकी मंदिर |
16. नेपाल के जनकपुर शहर में जानकी मंदिर है। रामायण के अनुसार सीता माता के पिता का नाम जनक था और इस शहर का नाम उन्हीं के नाम पर जनकपुर रखा गया था। साथ ही सीता माता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है और उसी नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है जानकी मंदिर। यहां सीता माता के दर्शन के लिए हर रोज़ हज़ारो श्रद्धालु आते हैं।
पंचवटी |
17. नासिक के पास आज भी पंचवटी तपोवन है, जहां अयोध्या से वनवास काटने के लिए निकले भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण रुके थे। यहीं लक्ष्मण ने सूपनखा की नाक काटी थी।
लेपाक्षी मंदिर |
18. सीता हरण के बाद जब रावण उन्हें आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था तब उसे रोकने के लिए जटायू आए थे। रावण ने उनका वध कर दिया था। आकाश से जटायू इसी जगह गिरे थे। यहां आज एक मंदिर है जिसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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