पित्त नाशक सबसे असरकारक आयुर्वेदिक घरेलू उपचार | Home remedies for Pitta dosha



पिछले लेख में हमनें पित्त नाशक आहार यानि पित्त संतुलित करने वाले खाने पीने के पदार्थो के बारे में बताया था इस लेख में हम पित्त की वृद्धि को शांत करने वाली जड़ी बूटियों के विषय में में बतायेंगे | आयुर्वेद में “त्रिदोष” का महत्त्व, इसके दोषों का शरीर पर प्रभाव, इन्हें संतुलित करने के उपाय तथा विभिन्न दोषों के अनुसार सही खानपान की अहमियत के बारे में हम पहले ही विस्तारपूर्वक बता चुके हैं | आइये पित्त की वृद्धि को शांत करने वाली जड़ी बूटियों के विषय में जान लेते है। 


पित्त की वृद्धि को शांत करने वाली जड़ी बूटियां इस प्रकार हैं:-


  • हरीतकी :- हरीतकी का चूर्ण सुबह-शाम चीनी के साथ खाने से पित्त की वृद्धि खत्म होती है और जलन भी शान्त होती है।


  • कुटकी :- शरीर में पित्त के साथ जलन, बुखार हो तो कुटकी का चूर्ण 0.60 ग्राम से 1.20 ग्राम और पुराना पित्त बुखार हो तो 3 से 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम चाटने से पित्त के बढ़ने की बीमारी में फायदा होगा।

  • छोटी इलायची :- छोटी इलायची 0.60 ग्राम सुबह-शाम देने से पित्त में फायदा होता है।


  • पटुआ :- पित्त की वृद्धि में पटुआ के फूलों का रस 10 मिलीलीटर में कालीमिर्च और मिश्री मिलाकर रोज पीने से शौच साफ आता है और पित्त(Pitt) की वृद्धि भी समाप्त हो जाती है। इसके पत्ते भी विरेचन (दस्त लाने वाले) गुणों से भरे होते हैं।


  • छरीला :- अगर पित्त ज्यादा बढ़ जाता है तो छरीला की फांट, जीरा और मिश्री बराबर मिलाकर 20 मिलीलीटर सुबह-शाम लेने से लाभ हो जाता है।


  • सफेद पाढ़ल (घंटा पाढर) :- सफेद पाढ़ल के फूलों का रस 10 मिलीलीटर से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम लेने से पाचन क्रिया ठीक हो जाती है और खराब पित्त शरीर से बाहर निकल जाती है।


  •  गिलोय :- गिलोय का रस 7 से 10 मिलीलीटर रोज 3 बार शहद में मिलाकर खाने से लाभ होता है।

  • आकाशबेल (अमरबेल) :- आकाशबेल का रस आधा से 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से कब्ज और यकृत (लीवर) के सारे दोष दूर होते हैं साथ ही पित्त की वृद्धि को भी रोकता है और जलन भी दूर करता है।


  • गुड़हल :- पित्त के बढ़ने पर और इससे पैदा होने वाले किसी भी तरह के उपद्रव, सिर दर्द, उल्टी, मिचली या जलन आदि में गुड़हुल की 10 से 12 कलियां या फूलों को घोंटकर पिलाने से लाभ होता है।

  • सफेद गुड़हल :- सफेद गुड़हल के पत्तों के रस में शक्कर डालकर पीने से बढ़ी हुई पित्त में लाभ मिलता है।

  • ऊदसलीब :- अगर पित्त बराबर मात्रा में नहीं निकल रहा हो तो ऊदसलीब की जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।


  • कुंगकु की छाल :- पित्त को कम व नियंत्रित रखने के लिये कुंगकु की छाल को पानी में उबालकर 40 से 80 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से पित्त बाहर निकल जाती है।



  • दमन पापड़ा :- अगर पित्त बढ़ जाता है, उल्टी, जलन, भ्रम, चक्कर, प्यास, बुखार कुछ भी हो तो दमन पापड़ा या पित्त पापड़ा का काढ़ा 50 ग्राम सुबह-शाम लेने से फायदा होता है।


  • वेदमुश्क की छाल :- वेदमुश्क की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से शरीर की जलन और पित्त भी शान्त होती है।

  • लज्जालु (छुईमुई) :- लज्जालु (छुईमुई) का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पित्त के बढ़ने से होने वाले सभी रोग दूर होते हैं।


  • हरी दूब :- पित्त के बढ़ने पर हरी दूब का रस 10 मिलीलीटर सुबह-शाम मिश्री के साथ देने से फायदा होता है। पित्त के बढ़ने पर हरी दूब के अलावा अगर सफेद दूब का उपयोग किया जाये तो ज्यादा फायदा होता है।


  • गुरड़ी साग :- गुरड़ी को साग के रूप में खाने से पित्त का विरेचन यानी दस्त के द्वारा बाहर निकल जाती है और पित्त के बढ़ने से होने वाले दोष मिट जाते हैं।


  • छोटी दुद्धी :- पित्त की वृद्धि होने पर उसे निकालने के लिए छोटी दूद्धी का रस 10 से 20 बूंद सुबह-शाम दूध में मिलाकर खाने से पित्त दस्त के साथ बाहर निकल जाता है।


  • सनाय की पत्ती :- पित्त के बढ़ने से जलन का कष्ट ज्यादा होता है ऐसे में सनाय की पत्ती का चूर्ण 0.60 से 1.80 ग्राम को लौंग और मुलेठी के साथ पित्त के विरेचन के लिए सेवन करते रहें। जिससे पित्त निकल जाती है।


  • सेंवार :- सेंवार के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पित्त की वृद्धि शान्त होती है और जलन भी दूर होती है।



  • बरना :- पित्त के ज्यादा होने पर फूलों को पीसकर, घोंटकर रोज सुबह-शाम पीने से या काढ़ा बनाकर 50 से 100 मिलीलीटर पीने से पित्त दस्त के साथ बाहर निकल जाती है।


  • झड़बेर :- झड़बेर के फल का शर्बत शीतल और पित्तनाशक होता है।

  • सागोन (सागवान) :- सागोन के पेड़ की छाल का चूर्ण 3 से 12 ग्राम सुबह-शाम खाने से पित्त खत्म होती है।


  • अमरा :- पित्त के बढ़ने पर अमरा के फल का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पित्त(Pitt) खत्म होती है।


  • केला :- पित्त के बढ़ने पर या पित्त से सम्बंधित बीमारी में केले के पेड़ का रस 20 से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।


  • फालसे :- फालसे के फल का शर्बत सुबह-शाम सेवन करने से पित्त का शमन होता है और पित्त (Pitt)से भरे जलन से मुक्ति मिल जाती है।


  •  मुनक्का :- पित्त के बढ़ने पर मुनक्का खाना फायदेमन्द होता है। इससे पित्त से भरी जलन भी दूर होती है।


  •  कागजी नींबू :- कागजी नींबू का शर्बत सुबह-शाम पीने से पित्त की वृद्धि बन्द हो जाती है।


  • कोकम :- कोकम के पके फल का शर्बत सुबह-शाम पीने से पित्त शान्त हो जाती है।


  • सांवा :- पित्त के बढ़ने पर सांवा के पांचों भागों को मिलाकर बने काढ़े को 40 से 80 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पित्त शान्त होती है।


  • तीनि (तीनि एक तरह की घास है, जो पानी में पायी जाती है) :- पित्त के बढ़ने पर तीनि के चावल को उबालकर खाना चाहिए।


  • सफेद मरसा :- सफेद मरसा के बीजों को भूनकर खाने से पित्त की वृद्धि कम हो जाती है। यह पित्त को शान्त करने में फायदेमन्द है। सफेद मरसा के पत्तों का साग भी खाने से फायदा होता है।


  •  चूका साग :- चूका साग को, साग के रूप में खाने से पित्त के बढ़ने में लाभ होता है और जलन में भी शान्ति मिलती है।


  • आलूबुखारे :- आलूबुखारे का रस 40 से 80 मिलीलीटर तक या काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर तक सुबह-शाम पिलाने से पित्त शान्त होती है।


  •  आलूचा :- यह भी आलूबुखारे का ही भेद है। इसे भी पित्त शान्त करने के लिए रस या काढ़े के रूप में उपयोग में लाया जाता है।


  • कासनी ग्राम्य :- कासनी ग्राम्य का फल खाने से पित्त की जलन और परेशानी दूर होती है।


  • चना :- 100 ग्राम चने के बेसन से बने मोतिया लड्डुओं के साथ दस पिसी कालीमिर्च मिलाकर खाने से पित्त की गर्मी में लाभ मिलता है।


  • गिरिपर्पट की रेजिन :- गिरिपर्पट की रेजिन 0.12 ग्राम से 0.24 ग्राम खाने से पित्त बाहर निकल जाती है। इसकी क्रिया धीरे-धीरे होती है मगर यह तेज होती है।


  • दरियाई नारियल :- पित्त के बढ़ने पर दरियाई नारियल के बीच का हिस्सा 0.48 मिलीग्राम से लेकर 1 ग्राम तक को गुलाबजल में घिसकर सुबह-शाम खाने से पित्त शान्त होती है और लाभ होता है।


  • गुलबनफ्शा :- गुलबनफ्शा के फूलों की फांट या घोल 40 से 80 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पित्त शान्त होती है।


  • सालव मिश्री का फल :- पित्त को शान्त करने के लिए सालव मिश्री के फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।


  •  कागजी नींबू :- पित्तशमन के लिए नींबू के रस और नमक का सेवन करना चाहिए।


  • इमली :-

  1. जलन और पित्त के रोग को मिटाने के लिए इमली के कोमल पत्तों और फूलों की सब्जी बनाकर खानी चाहिए।
  2. मिश्री के साथ इमली का शर्बत बनाकर पीने से हृदय की दाह (सीने की जलन) दूर होती है।
  3. 10 ग्राम इमली और 25 ग्राम छुहारों को 1 लीटर दूध में उबालें। फिर इसे छानकर पीने से ज्वर की दाह (बुखार की जलन) और घबराहट शान्त होती है।
  4. वमन (उल्टी) और गर्मी का बुखार होने पर इमली का शर्बत बनाकर पीना चाहिए।


  • तुलसी :- चौथाई चम्मच तुलसी के बीज एक आंवले के मुरब्बे पर डालकर प्रतिदिन दो बार खाएं। इससे पित्ती ठीक हो जाती है।

  • कैथ :- पित्त शमन के लिए कैथ के गूदे को शक्कर के साथ खाना चाहिए।


  • पवांड़ :- 2 से 4 ग्राम पवांड़ की जड़ के बारीक चूर्ण को घी में मिलाकर खाने से शीत-पित्त का रोग मिट जाता है।


  • लीची :- लीची खाने से पित्त की अधिकता कम होती है।


  • पलास :- पलास के गोंद को पानी में गलाकर प्रतिदिन लेप करने से पित्तशोथ मिट जाती है।




नोट :- दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें।


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