पुराणों के अनुसार हर साल ज्येष्ठ के महीने की कृष्णपक्ष द्वितीया को नारद जयंती मनाई जाती है। आठ मई को यह पर्व इस वर्ष मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार नारद ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक माने गये हैं। ये भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। नारद को ब्रह्मदेव का मानस पुत्र भी माना जाता है। भगवान ब्रह्मा के पुत्र मुनि नारद धर्म के प्रचारप्रसार और लोक कल्याण के तीनों लोकों में विचरण किया करते थे। देवर्षि नारद को ईश्वर का मन बताया गया है। नारद मुनि का न सिर्फ देवता बल्कि दानव भी पूरा सम्मान करते थे। भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता श्री नारद जी द्वारा रचित पुराण में जीवन से जुड़े ऐसे बड़े सूत्र बनाए गए हैं, जिनका पालन करने पर इंसान कभी भी दु:खी या दरिद्र नहीं हो सकता है।
1. नारद पुराण के अनुसार अपने केशों को कभी भी मुंह से नहीं दबाना चाहिए। ऐसा करने पर अशुभ फल प्राप्त होते हैं और जातक न सिर्फ निरोगी होता है बल्कि उसके सुख में भी कमी आती है। केशों की पवित्रता का न सिर्फ हिंदू धर्म में बल्कि सिख धर्म में भी काफी महत्व है।
2. नारद मुनि का कहना है कि सिर में लगाने के बाद बचे हुए तेल को शरीर पर नहीं मलना चाहिए यह दुखकर होता है। यह मृत्यु शोक के समान कष्टकारी होता है। इससे शरीर अशुद्ध होता है और धन की बरकत नहीं रहती है।
3. नारद पुराण में सदाचार और संयम पर विशेष जोर दिया गया है। देवर्षि नारद के अनुसार व्यक्ति को सदैव पर पुरुष और स्त्री के साथ संबंध बनाने से बचना चाहिए। इससे न सिर्फ इस लोक में बल्कि परलोक में भी कष्ट भोगना पड़ता है।
4. नारद पुराण में दिन में शयन करने को अशुभ बताया गया है। नारद मुनि के बताए सूत्र के अनुसार दिन में सोने से घर में धन वैभव की कमी होती है।
5. भूलकर भी निर्वस्त्र होकर शयन नहीं करना चाहिए। इससे देवता और पितृ दोनों ही नाराज होते हैं।
6. नारद पुराण के अनुसार मदिरा एवं जुआ व्यक्ति के अत्यंत ही हानिकारक है, इसलिए उसे सदैव इससे दूर रहना चाहिए।
7. नारद पुराण के अनुसार नाखून को चबाना अशुभ लक्षण है। इससे देवी लक्ष्मी नाराज होती हैं और मनुष्य बीमार होता है।
8. नारद पुराण के अनुसार व्यक्ति को कभी भी बाएं हाथ से जल का पात्र पकड़कर जल नहीं ग्रहण करना चाहिए।
9. नारद पुराण के अनुसार व्यक्ति को कभी भी सूर्योदय और शाम के समय नहीं सोना चाहिए। नारद मुनि के अनुसार यह समय ईश्वर की साधना-आराधना का है, इसलिए समय इष्ट देवता का ध्यान कल्याणकारी है।
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