नृसिंह जयंती 2020: भगवान नृसिंह की आरती स्तुति



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इस साल 2020 में भगवान नृसिंह की जयंती 6 मई दिन बुधवार के मनाई जाएगी।इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है जो बहुत ही धूम-धाम से की जाती है. ऐसे में आज के दिन भगवान के पूजन का समय शाम का होता है और इस दिन रात के समय आप मन्त्रों का जाप कर सकते हैं जो बहुत अच्छा और शुभ हो सकता है. ऐसे में नरसिंह जयंती के दिन नृसिंह भगवान का विधिवत पूजन अर्चन करने के बाद सभी तरह की कामनाओं की पूर्ति करने वाली इस आरती का गायन जरूर करें।सभी तरह की कामनाओं की पूर्ति करने वाली है यह आरती-

भगवान श्री नरसिंह जी की आरती -1


ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।

स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।

तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।

अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी।।


सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।

दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।

ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।

शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।


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भगवान श्री नरसिंह जी की आरती- 2


आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।

वेद विमल यश गाऊं मेरे प्रभुजी।।

पहली आरती प्रह्लाद उबारे,

हिरणाकुश नख उदर विदारे।

दूसरी आरती वामन सेवा,

बलि के द्वार पधारे हरि देवा।

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।

तीसरी आरती ब्रह्म पधारे,


चौथी आरती असुर संहारे,

भक्त विभीषण लंक पधारे।

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।

पांचवीं आरती कंस पछारे,

गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले।

तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा,

हरषि-निरखि गावें दास कबीरा।

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।

वेद विमल यश गाऊं मेरे प्रभुजी।। 


उपरोक्त नृसिंह भगवान की आरती(कोई एक) से पूर्व इस स्तुति मंत्र प्रार्थना का पाठ उच्चारण जरूर करें।

नरसिंह मंत्र- ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥

अर्थ- हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंह भगवान, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूं।

श्री भगवान नृसिंह स्तुति:-


1. प्रहलाद हृदयाहलादं भक्ता विधाविदारण।

शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि॥

2. नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने।

हिरन्यकशिपोर्ब‍क्षः शिलाटंक नखालये।।

3. इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह।

बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे।।

4. तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं।

दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्।

केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे।।

5. वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि।

यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे।।

6. श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह।

प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म।।

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