आषाढ़ गुप्त नवरात्र कब से हो रहे हैं शुरू? जानिए इस नवरात्रि का क्या है धार्मिक महत्व
गुप्त नवरात्रि क्या है ?
नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में अंतर
मां दुर्गा के नौ रूप
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्र तिथि
पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 22 जून 2020, दिन सोमवार
दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि 23 जुन 2020, दिन मंगलवार
तीसरा नवरात्र, तृतीया तिथि, 24 जून 2020, दिन बुधवार
चौथा नवरात्र, चतुर्थी तिथि, 25 जून 2020, दिन गुरुवार
पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 26 जून 2020, दिन शुक्रवार
छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 26 जून 2020, दिन शुक्रवार
सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि , 27 जून 2020, दिन शनिवार
आठवां नवरात्र , अष्टमी तिथि, 28 जून 2020, दिन रविवार
नौवां नवरात्र नवमी तिथि 29 जून 2020, दिन सोमवार
घट स्थापना शुभ मुहूर्त
घट स्थापना का समय 09 बजकर 45 मिनट से लेकर 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह सिंह लग्न में पड़ रहा है, अत: इस लग्न में पूजा तथा कलश स्थापना करना शुभ होगा। इसके पश्चात अभिजित मुहुर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 02 मिनट से लेकर 12 बजकर 56 मिनट तक है, जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है।
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
- प्रथम गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। जिससे मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विध्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाएं रखें।
- कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं। फिर उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें।
- पूजा स्थान की उत्तर-पूर्व दिशा में धरती माता पर सात तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत और जौं डालें। कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, हल्दी, सिक्का, पुष्पादि डालें।
- जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रखें उसके बीच नए लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगा कर प्रणाम करते हुए रेत पर कलश विराजित करें।
- अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। विधि-विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं।
- इसके साथ मां को सुबह-शाम अपनी क्षमता अनुसार भोग भी लगाएं। माना जाता है कि इन्हें अर्पित किया जाने वाला सबसे सरल और उत्तम भोग लौंग और बताशे का है।
- अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र चमत्कारी शक्तियों से सपंन्न करने में समर्थ है।
- अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। नौ दिन श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें।
गुप्त नवरात्र पौराणिक कथा
गुप्त नवरात्रि में क्या करें ?
- नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य नियम का जरूर पालन करें।
- तामसी भोजन का त्याग करें।
- कुश की चटाई पर शैया करनी चाहिए।
- निर्जला अथवा फलाहार उपवास रखें।
- मां की पूजा-उपासना करें।
- लहसुन-प्याज का उपयोग न करें।
- माता-पिता की सेवा और आदर सत्कार करें।
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