December Festival List 2020: दिसंबर में भी पड़ने वाले है कई व्रत-त्योहार, सूर्य ग्रहण समेत दो खगोलिय घटनाओं के भी बनेंगे साक्षी, देखें त्योहारों की पूरी सूची



नवंबर माह में बड़े-बड़े त्योहार पड़ते हैं, जैसे दिवाली, छठ पूजा, भाई दूज आदि, लेकिन अब नवंबर का महीना खत्म हो चुका है और दिसंबर की शुरूआत हो गई है, साल 2020 के आखिरी महीने में पड़ने वाले त्योहारों के बारे में हम आपको बताएंगे, 14 दिसंबर 2020 को अमावस्या के दौरान पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा जो की साल का अंतिम सूर्य ग्रहण है। चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए भारत में ग्रहण काल के नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं मानी जा रही है। वहीं, 21 दिसंबर 2020, दिन: सोमवार को साल का सबसे छोटा दिन भी देखने को मिलेगा। दिसंबर के महीने में कई बड़े त्योहार हैं, इन त्योहारों में प्रदोष व्रत, धनु संक्रान्ति, कार्तिक अमावस्या, मासिक शिवरात्रि, शनि त्रयोदशी, कालभैरव जयंती, उत्पन्ना एकादशी, मोक्षदा एकादशी, गीता जयन्ती, क्रिसमस समेत अन्य खगोलिय घटनाएं भी शामिल हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इन सभी त्योहारों का बहुत महत्व माना जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन त्योहारों में हिस्सा लेने से सुख-समृद्धि बनी रहती है। सबसे बडे़ त्योहार के रूप में 25 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी और क्रिसमस पर्व का उत्सव मनाया जाएगा। वेदों के अनुसार माना जाता है कि महाभारत काल में मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। आइये देखते हैं वर्ष 2020 के अंतिम माह में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों की पूरी सूची...

दिसंबर 1, 2020, मंगलवार

  • इष्टि (कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा)
  • विश्व एड्स दिवस (ग्रेगोरियन कैलेण्डर में निश्चित दिन)

दिसंबर 3, 2020, गुरुवार

  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी)

दिसंबर 7, 2020, सोमवार

  • कालाष्टमी (कार्तिक, कृष्ण अष्टमी)
  • कालभैरव जयन्ती (कार्तिक, कृष्ण अष्टमी)- मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी के रूप में मनाई जाती है। काल भैरव बीमारी, भय, संकट और दुख को हरने वाले स्वामी माने जाते हैं। इनकी पूजा से हर तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती है।माना जाता है कि भैरव की पूजा में चने-चिरौंजी, पेड़े, काली उड़द और उड़द से बने मिष्‍ठान्न इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा का भोग लगाना लाभकारी है इससे भैरव प्रसन्न होते है। 

दिसंबर 10, 2020, गुरुवार

  • उत्पन्ना एकादशी (कार्तिक, कृष्ण एकादशी)- हिन्दू पंचांग के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

दिसंबर 11, 2020, शुक्रवार

  • गौण उत्पन्ना एकादशी (कार्तिक, कृष्ण एकादशी)
  • वैष्णव उत्पन्ना एकादशी (कार्तिक, कृष्ण एकादशी)

दिसंबर 12, 2020, शनिवार

  • प्रदोष व्रत (कार्तिक, कृष्ण एकादशी) -प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। यह व्रत प्रति माह में दो बार (कृष्ण और शुक्ल पक्ष में) त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। 
  • शनि त्रयोदशी (कार्तिक, कृष्ण एकादशी)

दिसंबर 13, 2020, रविवार

  • मासिक शिवरात्रि (कार्तिक, कृष्ण त्रयोदशी)- हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है।

दिसंबर 14, 2020, सोमवार

धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण है। इस तिथि को अगहन और पितृ अमावस्या भी कहते हैं। इसलिए इस दिन पितरों को याद किया जाता है। खास बात ये है कि इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है।

  • कार्तिक अमावस्या (कार्तिक, कृष्ण चतुर्दशी)
  • दर्श अमावस्या (कार्तिक, कृष्ण अमावस्या)
  • अन्वाधान (कार्तिक, कृष्ण चतुर्दशी)
  • सोमवती अमावस (कार्तिक, कृष्ण अमावस्या)
  • सूर्य ग्रहण पूर्ण (अमावस्या के दौरान)

दिसंबर 15, 2020, मंगलवार

  • इष्टि (कार्तिक, कृष्ण अमावस्या)
  • मार्गशीर्ष प्रारम्भ (दक्षिण) (मार्गशीर्ष, शुक्ल प्रतिपदा)
  • धनु संक्रान्ति (सूर्य का वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश)- सूर्य देव 15 दिसंबर मंगलवार के दिन धनु राशि में प्रवेश करेंगे और इस राशि में ये 14 जनवरी 2021 तक स्थित रहेंगे। सूर्य के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। जिस राशि में ये प्रवेश करते हैं उसी राशि के नाम पर संक्रांति पड़ती है। भारतीय पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में संक्रांति करते हैं तो यह समय शुभ नहीं माना जाता है।धनु संक्रांति के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, फल, सुपारी, पंचामृत, तुलसी, मेवा आदि का भोग तैयार किया जाता है। सत्यनारायण की कथा के बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती की जाती है और चरणामृत का प्रसाद दिया जाता है। मान्यता के अनुसार जो लोग विधि के साथ पूजन करते हैं उनके सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

दिसंबर 16, 2020, बुधवार

  • चन्द्र दर्शन (मार्गशीर्ष, शुक्ल प्रतिपदा)

दिसंबर 18, 2020, शुक्रवार

  • विनायक चतुर्थी (मार्गशीर्ष, शुक्ल चतुर्थी)

दिसंबर 19, 2020, शनिवार

  • विवाह पञ्चमी (मार्गशीर्ष, शुक्ल पञ्चमी)
  • नाग पञ्चमी (तेलुगु) (मार्गशीर्ष, शुक्ल पञ्चमी)
  • स्कन्द षष्ठी (मार्गशीर्ष, शुक्ल षष्ठी)
  • सुब्रहमन्य षष्ठी (मार्गशीर्ष, शुक्ल षष्ठी)

दिसंबर 20, 2020, रविवार

  • चम्पा षष्ठी (मार्गशीर्ष, शुक्ल षष्ठी)

दिसंबर 21, 2020, सोमवार

  • साल का सबसे छोटा दिन (खगोलीय घटना)

दिसंबर 22, 2020, मंगलवार

  • मासिक दुर्गाष्टमी (मार्गशीर्ष, शुक्ल अष्टमी)

दिसंबर 25, 2020, शुक्रवार

  • मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष, शुक्ल एकादशी)- मोक्षदा एकादशी का तात्पर्य है मोह का नाश करने वाली। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा गया है। 
  • गीता जयन्ती (मार्गशीर्ष, शुक्ल एकादशी)- द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान दिया था। अत: इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।    
  • वैकुण्ठ एकादशी (सौर कैलेण्डर पर आधारित)
  • मेरी क्रिसमस (ग्रेगोरियन कैलेण्डर में निश्चित दिन)-25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। यह ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह पर्व ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस के मौके पर सैंटा क्लॉज लोगों को उपहार बांटते हैं।

दिसंबर 26, 2020, शनिवार

  • मण्डला पूजा (मलयालम कैलेण्डर पर आधारित)
  • मासिक कार्तिगाई (सौर कैलेण्डर पर आधारित)
  • मत्स्य द्वादशी (मार्गशीर्ष, शुक्ल द्वादशी)

दिसंबर 27, 2020, रविवार

  • प्रदोष व्रत (मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी)
  • हनुमान जयन्ती (कन्नड़) (मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी)

दिसंबर 28, 2020, सोमवार

  • रोहिणी व्रत (जैन कैलेण्डर पर आधारित)

दिसंबर 29, 2020, मंगलवार

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत
  • अन्वाधान (मार्गशीर्ष, शुक्ल चतुर्दशी)
  • दत्तात्रेय जयन्ती (मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा)

दिसंबर 30, 2020, बुधवार

  • इष्टि (मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा)- इस दिन स्नान, दान और तप का विशेष महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज आदि जगहों पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और तप आदि करते हैं।
  • अन्नपूर्णा जयन्ती (मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा)
  • त्रिपुर भैरवी जयन्ती (मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा)
  • अरुद्र दर्शन (तमिल कैलेण्डर पर आधारित)

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