अंग्रेजी महीनों के नाम तो आप सभी को पता ही होंगे। जब भी कोई पूछता है कि एक वर्ष में कौन-कौन से महीने होते हैं तो हम सभी जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई आदि 12 महीनों के नाम लेने लगते हैं। हालांकि, यह अंग्रेजी कैलेंडर के नाम हैं। लेकिन हिन्दू पंचांग क्या हैं और हिन्दू पंचांग के अनुसार महीनों के नाम क्या हैं? कब कौन सा माह आरंभ हो रहा है? हिन्दू पंचांग का पहला महीना कौन सा होता है? इन सब सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलेंगें।
पंचाग का अर्थ
हिन्दू पंचांग हिन्दू समाज द्वारा माने जाने वाला कैलेंडर है। इसके भिन्न-भिन्न रूप में यह लगभग पूरे भारत में माना जाता है। पंचांग का शाब्दिक अर्थ है पंच + अंग = पांच अंग यानि पंचांग। यही हिन्दू काल-गणना की रीति से निर्मित पारम्परिक कैलेण्डर या कालदर्शक को कहते हैं। पंचांग नाम इसके पांच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, जो इस प्रकार हैं: तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धारायें हैं, पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति।
ऐसे चलते हैं साल, महीने, सप्ताह और दिन
हिंदू कलैंडर यानि पंचाग में भी 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में 27 नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। 12 मास का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। यह 12 राशियां बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घड़ी 48 पल छोटा है। इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें एक महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिक मास, मल मास या पुरुषोत्तम मास कहते हैं। प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं। महीने को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष विभाजित होते हैं। जिस समय चंद्रमा बढ़ते क्रम में होता है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है तो वहीं घटते क्रम में चंद्रमा जब रहता है तो उसे कृष्ण पक्ष कहते हैं।एक दिन को तिथि कहा जाता है जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक होती है। दिन को चौबीस घंटों के साथ-साथ आठ पहरों में भी बांटा गया है। एक प्रहर करीब तीन घंटे का होता है। एक घंटे में लगभग दो घड़ी होती हैं, एक पल लगभग आधा मिनट के बराबर होता है और एक पल में चौबीस क्षण होते हैं। पहर के अनुसार देखा जाए तो चार पहर का दिन और चार पहर की रात होती है।
पंचांग के पांच अंग
जैसा कि हमने बताया पंचांग पांच अंगों तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर बनता है। आइये जाने इसके इन अंगों की संक्षिप्त जानकारी।
तिथि:
चन्द्रमा की एक कला को तिथि कहते हैं। चन्द्र और सूर्य के अन्तरांशों के मान 12 अंशों का होने से एक तिथि होती है। जब अन्तर 180 अंशों का होता है उस समय को पूर्णिमा कहते हैं और जब यह अन्तर 0 या 360 अंशों का होता है उस समय को अमावस कहते हैं। एक मास में लगभग 30 तिथि होती हैं। 15 कृष्ण पक्ष की और 15 तिथि शुक्ल पक्ष की।
इनके नाम इस प्रकार होते हैं : 1 प्रतिपदा, 2 द्वितीया, 3 तृतीया, 4 चतुर्थी, 5 पंचमी, 6 षष्ठी, 7 सप्तमी, 8 अष्टमी, 9 नवमी, 10 दशमी, 11 एकादशी, 12 द्वादशी, 13 त्रयोदशी, 14 चतुर्दशी और 15 पूर्णिमा, यह शुक्ल पक्ष कहलाता है। कृष्ण पक्ष में यही 14 तिथि होती हैं बस अन्तिम तिथि पूर्णिमा के स्थान पर अमावस्या नाम से जाना जाती है।
वार:
एक सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय तक की कलावधि को वार कहते हैं। वार सात होते हैं। 1. रविवार, 2. सोमवार, 3. मंगलवार, 4. बुद्धवार, 5. गुरुवार, 6. शुक्रवार और 7. शनिवार।
नक्षत्र:
ताराओं के समूह को नक्षत्र कहते हैं। नक्षत्र 27 होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 9 चरणों के मिलने से एक राशि बनती है। 27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं, 1. अश्विनी 2. भरणी 3. कृत्तिका 4. रोहिणी 5. मृगशिरा 6. आद्र्रा 7. पुनर्वसु 8. पुष्य 9. अश्लेषा 10. मघा 11. पूर्वाफाल्गुनी 12. उत्तराफाल्गुनी 13. हस्त 14. चित्रा 15. स्वाती 16. विशाखा 17. अनुराधा 18. ज्येष्ठा 19. मूल 20. पूर्वाषाढ 21. उतराषाढ 22. श्रवण 23. घनिष्ठा 24. शतभिषा 25. पूर्वाभद्रपद 26. उत्तराभाद्रपद 27. रेवती।
योग:
सूर्य चन्द्रमा के संयोग से योग बनता है ये भी 27 होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- 1. विष्कुम्भ, 2. प्रीति, 3. आयुष्मान, 4. सौभाग्य, 5. शोभन, 6. अतिगण्ड, 7. सुकर्मा, 8.घृति, 9.शूल, 10. गण्ड, 11. वृद्धि, 12. ध्रव, 13. व्याघात, 14. हर्षल, 15. वङ्का, 16. सिद्धि, 17. व्यतीपात, 18.वरीयान, 19.परिधि, 20. शिव, 21. सिद्ध, 22. साध्य, 23. शुभ, 24. शुक्ल, 25. ब्रह्म, 26. ऐन्द्र, 27. वैघृति।
करण:
तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं यानि एक तिथि में दो करण होते हैं। करणों के नाम इस प्रकार हैं 1. बव, 2.बालव, 3.कौलव, 4.तैतिल, 5.गर, 6.वणिज्य, 7.विष्टी (भद्रा), 8.शकुनि, 9.चतुष्पाद, 10.नाग, 11.किंस्तुघन।
हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष के बारह मासों के नाम ये हैं :-
- चैत्र या चैत
- वैशाख या बैसाख
- ज्येष्ठ या जेठ
- आषाढ या आसाढ़
- श्रावण या सावन
- भाद्रपद या भादों
- आश्विन
- कार्तिक या कातिक
- अग्रहायण या अगहन या मार्गशीर्ष
- पौष या पूस
- माघ
- फाल्गुन या फागुन
2021 में हिंदू पंचांग मास कब से कब तक की जानकारी:
पौष – 31 दिसंबर 2020 से 28 जनवरी 2021
माघ – 29 जनवरी से 27 फरवरी 2021
फाल्गुन – 28 फरवरी से 28 मार्च 2021
चैत्र – 29 मार्च से 27 अप्रैल 2021
वैशाख – 28 अप्रैल 26 मई 2021
ज्येष्ठ – 27 मई से 24 जून 2021
आषाढ़ – 25 जून से 24 जुलाई 2021
श्रावण – 25 जुलाई से 22 अगस्त 2021
भाद्रपद – 23 अगस्त से 20 सितंबर 2021
आश्विन – 21 सितंबर से 20 अक्तूबर 2021
कार्तिक – 21 अक्तूबर से 19 नवंबर 2021
मार्गशीर्ष – 20 नवंबर से 19 दिसंबर 2021
पौष – 20 दिसंबर 2021 से 17 जनवरी 2022
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