प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त अर्थात काल और समय का विशेष महत्व माना गया है। मुहूर्त में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता अनुसार, कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है।ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों के योग को ही पंचक कहा जाता है इसलिये पंचक को ज्योतिष शुभ नक्षत्र नहीं मानता।
पंचक कितने शुभ और अशुभ
पंचक अर्थात पांच नक्षत्रों का समूह यह एक ऐसा ज्योतिष का विशेष मुहूर्त दोष है जिसमें बहुत सारे कामों को करने की मनाही की जाती क्या यह वाकई हानिकारक होता है या फिर यह एक भ्रांति है। क्या पंचक के केवल उसके नाकारात्मक प्रभाव ही मिलते है या उसके कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राशिचक्र में 360 अंश एवं 27 नक्षत्र होते हैं। इस प्रकार एक नक्षत्र का मान 13 अंश एवं 20 कला या 800 कला का होता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा 27 नक्षत्रों में से अंतिम पांच नक्षत्रों अर्थात धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, एवं रेवती में होता है तो उस अवधि को पंचक कहा जाता है। दूसरे शब्दों में जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। क्योंकि चन्द्रमा 27 दिनों में इन सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है। अत: हर महीने में लगभग 27 दिनों के अन्तराल पर पंचक नक्षत्र आते ही रहते हैं।
कितने प्रकार का होता हैं पंचक
पंचक प्रमुख रुप से पांच प्रकार का माना जाता है इसमें रोग पंचक, नृप पंचक, चोर पंचक, मृत्यु पंचक और अग्नि पंचक हैं।
रोग पंचक – माना जाता है कि इस दौरान पंचक में पांच दिनों के लिये शारीरिक और मानसिक रुप से काफी यातनाएं झेलनी पड़ सकती है इसलिए स्वास्थ्य के प्रति विशेष रुप से सावधान रहने की आवश्यकता होती है। इस दौरान यज्ञोपवीत करना भी वर्जित माना जाता है।हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। इसकी शुरुआत रविवार से होती है।
नृप पंचक – इस पंचक की शुरुआत सोमवार से मानी जाती है। इस दौरान किसी नई नौकरी को ज्वाइन करना अशुभ माना जाता है, लेकिन नौकरी सरकारी हो तो उसके लिये इसे शुभ माना गया है। सरकारी नौकरी इस पंचक में ज्वाइन करने से लाभ मिलता है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।
अग्नि पंचक – मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। ये अशुभ होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।
चोर पंचक – इस पंचक के दौरान यात्रा करने से अपने आपको दूर रखना चाहिये। व्यावसायिक रुप से लेन-देन करना भी इसमें शुभ नहीं माना जाता। अगर ऐसा किया जाता है तो उसमें आर्थिक नुक्सान होने का खतरा बना रहता है। इस पंचक की शुरुआत शुक्रवार से होती है।
मृत्यु पंचक – ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जोखिम से भरा कोई भी कार्य इस पंचक के दौरान नहीं किया जाना चाहिये। विवाह जैसे शुभ कार्य की भी इस दौरान मनाही होती है। इसमें जान और माल का नुक्सान हो सकता है इसलिये इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। यह शनिवार को शुरु होता है।
पंचक का कौन-सा नक्षत्र है किस के लिये हानिकारक
- पंचक धनिष्ठा नक्षत्र से शुरु होता है और रेवती नक्षत्र तक रहता है इसमें धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है इस समय दक्षिण दिशा की यात्रा अथवा छत डलवाने या फिर घास, लकड़ी, ईंधन आदि भी एकत्रित नहीं करना चाहिये।
- वहीं शतभिषा नक्षत्र में कार्य के दौरान आपसी कलह, वाद-विवाद और झगड़ा होने की संभावनाएं बढ़ जाती इसलिये इस नक्षत्र के दौरान कार्यों को नहीं किया जाता बहुत ही जरुरी हों तो अतिरिक्त सावधानी जरुर रखें।
- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र आपकी सेहत के लिये हानिकारक होता है अत: इस दौरान अपनी सेहत का जरुर ध्यान रखना चाहिये।
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र व्यावसायिक रुप से आपके लिये बहुत हानिकारक होता है इस दौरान अपनी जेब संभालकर रखें अनावश्यक और अतिरिक्त खर्च बढ़ने की संभावना रहती है, व्यवासाय में आर्थिक नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है। निवेश करने का विचार तो इस नक्षत्र में विशेष रुप से न करें वहीं रेवती नक्षत्र में भी धन की हानि होने की संभावनाएं रहती है।
- वहीं पंचक में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार विशेष विधि के तहत किया जाना चाहिये अन्यथा पंचक दोष लगने का खतरा रहता है जिस कारण कुटुंब या गांव में पांच लोगों की मृत्यु हो सकती है। इस बारे में गुरुड़ पुराण में विस्तार से जानकारी मिलती है इसमें लिखा है कि अंतिम संस्कार के लिये किसी विद्वान ब्राह्मण की सलाह लेनी चाहिये और अंतिम संस्कार के दौरान शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें और शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से करना चाहिये।
- इस दौरान कोई पलंग, चारपाई, बेड आदि नहीं बनवाना चाहिये माना जाता है कि पंचक के दौरान ऐसा करने से बहुत बड़ा संकट आ सकता है।
- पंचक शुरु होने से खत्म होने तक किसी यात्रा की योजना न बनाएं मजबूरी वश कहीं जाना भी पड़े तो दक्षिण दिशा में जाने से परहेज करें क्योंकि यह यम की दिशा मानी जाती है। इस दौरान दुर्घटना या अन्य विपदा आने का खतरा आप पर बना रहता है।
क्या पंचक के दौरान पूजा पाठ या धार्मिक क्रिया कलाप नहीं करने चाहिए?
बहुतायत में यह धारणा जगह बना चुकी है कि पंचक के दौरान हवन-पूजन या फिर देव विसर्जन नहीं करना चाहिए। जो कि गलत है शुभ कार्यों, खास तौर पर देव पूजन में पंचक का विचार नहीं किया जाता। अत: पंचक के दौरान पूजा पाठ या धार्मिक क्रिया कलाप किए जा सकते हैं। शास्त्रों में पंचक के दौरान शुभ कार्य के लिए कहीं भी निषेध का वर्णन नहीं है। केवल कुछ विशेष कार्यों को ही पंचक के दौरान न करने की सलाह विद्वानों द्वारा दी जाती है।
क्या पंचक वास्तव में इतने अशुभ होते हैं कि इसमें कोई भी कार्य करना अशुभ होता है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। बहुत सारे विद्वान इन पंचक संज्ञक नक्षत्रों को पूर्णत: अशुभ मानने से इन्कार करते हैं। कुछ विद्वानों ने ही इन नक्षत्रों को अशुभ माना है इसलिए पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन नक्षत्रों में कोई भी कार्य करना अशुभ होता है। इन नक्षत्रों में भी बहुत सारे कार्य सम्पन्न किए जाते हैं।
- पंचक के इन पांच नक्षत्रों में से धनिष्ठा एवं शतभिषा नक्षत्र चर संज्ञक नक्षत्र हैं अत: इसमें पर्यटन, मनोरंजन, मार्केटिंग एवं वस्त्रभूषण खरीदना शुभ होता है।
- पूर्वाभाद्रपद उग्र संज्ञक नक्षत्र है अत: इसमें वाद-विवाद और मुकदमे जैसे कामों को करना अच्छा रहता है।
- जबकि उत्तरा-भाद्रपद ध्रुव संज्ञक नक्षत्र है इसमें शिलान्यास, योगाभ्यास एवं दीर्घकालीन योजनाओं को प्रारम्भ किया जाता है।
- वहीं रेवती नक्षत्र मृदु संज्ञक नक्षत्र है अत: इसमें गीत, संगीत, अभिनय, टी.वी. सीरियल का निर्माण एवं फैशन शो आयोजित किये जा सकते हैं।
इससे ये बात साफ हो जाती है कि पंचक नक्षत्रों में सभी कार्य निषिद्ध नहीं होते। किसी विद्वान से परमर्श करके पंचक काल में विवाह, उपनयन, मुण्डन आदि संस्कार और गृह-निर्माण व गृहप्रवेश के साथ-साथ व्यावसायिक एवं आर्थिक गतिविधियां भी संपन्न की जा सकती हैं।अतः पंचकों से डरने की ही नहीं... समझने की आवश्यकता है l
वर्ष 2021 में 'पंचक' कब-कब
15 जनवरी 2021– सायं 05:06 से 20 जनवरी 2021 दोपहर 12.37 बजे तक
12 फरवरी 2021 – मध्यरात्रि 2:11 से 16 फरवरी 2021 रात्रि 08:57 बजे तक
11 मार्च 2021 – प्रातः 09:21 से 16 मार्च 2021 प्रातः 04:44 बजे तक
07 अप्रैल 2021– दोपहर 03:00 से 12 अप्रैल 2021 सुबह 11:30 बजे तक
04 मई 2021– सायं 08:44 से 09 मई 2021 सायं 05:29 बजे तक
01 जून 2021– मध्यरात्रि बाद 03.59 से 05 जून 2021 रात्रि 11:28 बजे तक
28 जून 2021– दोपहर 01:00 से 03 जुलाई 2021 प्रातः 06:14 बजे तक
25 जुलाई 2021– रात्रि 10:48 से 30 जुलाई 2021 दोपहर 02:03 बजे तक
22 अगस्त 2021– प्रातः 07:57 से 26 अगस्त 2021 रात्रि 10:29 बजे तक
18 सितंबर 2021– दोपहर 03:26 से 23 सितंबर 2021 प्रातः 06.44 बजे तक
15 अक्टूबर 2021– रात्रि 09:16 से 20 अक्टूबर 2021 दोपहर 02:02 बजे तक
12 नवंबर 2021– रात्रि 02:52से 16 नवंबर 2021 रात्रि 08:15 बजे तक
09 दिसंबर 2021– सुबह 10:10 से 14 दिसंबर 2021 रात्रि 02:05 बजे तक
Post a Comment