पटना साहिब : यहां हुआ था गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म, जानिए गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी खास बातें



गुरु गोबिंद सिंह जी को एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि भी माना जाता है। इनके त्याग और वीरता की आज तक मिसाल दी जाती है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनकी बहादुरी थी। गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के एक मात्र पुत्र थे। सिखों के १० वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्‍म श्री पटना साहिब में पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी यानि कि 26 दिसम्बर 1666 को हुआ था। इस बार यह तिथि नानक शाही कैलेंडर के मुताबिक 20 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी यान‍ी कि कल। इस उत्सव को ‘प्रकाश पर्व’ भी कहते हैं।प्रकाश पर्व का सिख धर्म में खास महत्व है।इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है। अरदास, भजन, कीर्तन के साथ लोग माथा टेकते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी के लिए यह शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं, सवा लाख से एक लड़ांऊ? उनके अनुसार शक्ति और वीरता के संदर्भ में उनका एक सिख सवा लाख लोगों के बराबर है।

बता दें कि जिस समय गुरु साहिब का जन्म हुआ, उस वक्त गुरु तेग बहादुर साहिब बंगाल व असम की यात्रा पर थे। उन्हीं के वचनानुसार बालक का नाम गोबिंद राय रखा गया और सन् 1699 को बैसाखी वाले दिन गुरुजी पंज प्यारों से अमृत छककर गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह जी बन गए।जन्म के काफी समय बाद गुरु तेग बहादुर जी पटना लौटे और बाल गोबिंद राय जी से मिले। पिता को देखते ही बाल गोबिंद जी दौड़ते हुए उन्हें गले जा मिले। बाल गोबिंद राय 6 साल की उम्र तक पटना साहिब रहे।असम में रह रहे गुरु तेग बहादुर साहिब जी के कुछ अनुयायियों ने गुरु जी को यह खबर दी कि असम में जातीय भेदभाव किया जा रहा है। इसके साथ लोगों में कई तरह का अंधविश्वास फैला हुआ है जिसे दूर करने की जरूरत है। यह सुनकर गुरु जी असम की ओर चल दिए।

खालसा पंथ की स्थापना

गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व वाले थे। सन् 1699 में 13 अप्रैल बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। खालसा यानि खालिस (शुद्ध) जो मन, वचन एवं कर्म से शुद्ध हो और समाज के प्रति पूरी तरह से समर्पण का भाव रखता हो।इन्होंने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए, जिन्हें ‘पंच ककार’ के नाम से जाना जाता है। गोविंद सिंह के संदेश के अनुसार ही खालसा सिखों में पांच चीजों को अनिवार्य माना जाता है। ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा

ऐसे हुई पंज प्यारे की स्थापना

गुरु गोविन्द सिंह तथा पंज प्यारे (भाई थान सिंह गुरुद्वारा में)

सिख समुदाय की एक सभा में उन्होंने सबके सामने पूछा, कौन अपने सिर का बलिदान देना चाहता है? उसी समय एक स्वयंसेवक इस बात के लिए राजी हो गया और गुरु गोविंद सिंह उसे दूसरे तंबू में ले गए और कुछ देर बाद वापस लौटे एक खून लगी हुई तलवार के साथ। गुरु ने दोबारा उस भीड़ के लोगों से वही सवाल पूछा और उसी प्रकार एक और व्यक्ति राजी हुआ और उनके साथ गया। फिर वह खून से सनी तलवार लेकर बाहर आए, इसी प्रकार जब पांचवा स्वयंसेवक उनके साथ तंबू के भीतर गया तो कुछ देर बाद गुरु गोविंद सिंह सभी जीवित सेवकों के साथ वापस लौटे और उन्होंने उन्हें पंज प्यारे या पहले खालसा का नाम दिया।तब गुरु साहिब ने इन पांच प्यार वाले इंसानों को एक खास रस्म ‘‘पाहुल’’ के जरिये अमृत छकाया और कहा, ‘जहां पर यह पंज प्यारे होंगे, वही मैं आऊँगा’’। गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा को एक अलग पहचान दी और उन्हें 5 की और जिन्दगी को हिम्मत, त्याग और दूसरो के प्रति सेवा और एक जैसी भावना रखकर जीने का वरदान दिया।

यह पांच प्यारे पूरे भारत से आए थे

भाई दया सिंह जी – लाहौर से
भाई धरम सिंह जी – यू पी के हस्तिनापुर से
भाई हिम्मत सिंह जी- ओडिशा के जगन्नाथ पुरी से
भाई मोखम सिंह जी- गुजरात के द्वारका से
भाई साहिब सिंह जी- कर्नाटक के बिदर से

गुरु गोबिंद सिंह जी की रचनाएं

गुरु गोबिंद सिंह की गिनती महान लेखकों और रचनाकारों में होती है।उन्हें विद्वानों का संरक्षक माना जाता था। कहा जाता है कि उनके दरबार में हमेशा 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी। इस लिए उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता था। उन्‍होंने 'जाप' साहिब', 'अकाल उस्‍तत', 'बिचित्र नाटक', 'चंडी चरित्र', 'शास्‍त्र नाम माला', 'अथ पख्‍यां चरित्र लिख्‍यते', 'जफरनामा' और 'खालसा महिमा' जैसी रचनाएं लिखीं।  'बिचित्र नाटक' को उनकी आत्‍मकथा माना जाता है, जोकि 'दसम ग्रन्थ' का एक भाग है। 

गुरु गोबिंद सिंह को ज्ञान, सैन्य क्षमता आदि के लिए भी जाना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखीं थी साथ ही उन्होंने धनुष-बाण, तलवार, भाला चलाने की कला भी सीखी।उन्होंने मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े। धर्म के लिए परिवार का तक बलिदान कर दिया, जिसके लिए उन्हें सरबंसदानी भी कहा जाता है।उनके दो बेटे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में शहादत प्राप्त की। वहीं, अन्य दो बेटे बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहंद के नवाब ने जिंदा दीवारों में चुनवा दिया।

सलिसराय जौहरी की थी जगह

तख्त श्री पटना साहिब का आंतरिक क्षेत्र, जहां गुरु गोविंद सिंह जी 1666 में पैदा हुये थे।


सिक्ख इतिहास के मुताबिक जिस जगह गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था, वह जगह सलिसराय नामक जौहरी की थी। जब गुरु तेग बहादुर साहिब जी माता गुजरी जी के साथ पटना पहुंचे तो सलिसराय जौहरी ने उन्हें अपने घर रुकने को कहा। गुरु साहिब मान गए। यहां परिवार को छोड़ने के बाद गुरु तेग बहादुर साहिब असम की तरफ रवाना हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि सलिसराय गुरु नानक देव जी का मुरीद था और जब गुरु नानक देव जी पटना की तरफ गए थे, तब वह सलिसराय जौहरी के पुरखों घर पर ही रुके थे। यही वजह थी कि जौहरी ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी को भी अपने घर ही रुकने को कहा था और बाद में उनके परिवार ने इस जगह को गुरुद्वारे के निर्माण के लिए दे दिया था। यहां आज तख्त श्री पटना साहिब हैं।

पटना साहिब में आज भी ये चीजें मौजूद

तख्त श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब

गुरुद्वारा साहिब में आज भी वह चीजें मौजूद हैं, जो गुरु गोबिंद सिंह जी के समय में थी। पानी भरने के लिए जिस कुएं का इस्तेमाल माता गुजरी जी करती थीं, वह आज भी यहां है। इसे देखने संगतों की भीड़ उमड़ी रहती है। आज भी इस गुरुद्वारे में गुरु गोबिंद सिंह जी की छोटी कृपाण मौजूद है। यही वह कृपाण है जिसे गुरु गोबिंद सिंह जी बचपन के दिनों में धारण करते थे। गुरु जी अपने केशों में जिस कंघे का इस्तेमाल करते थे, वह भी यहां है। गुरु तेग बहादुर साहिब जी के लकड़ी के खड़ाऊं (चप्पल) भी संभाल कर रखे गए हैं।

गुरु गोबिंद सिंह का संपूर्ण जीवन हमें हर तरह के अत्याचार और दमन के खिलाफ उठ खड़े होने की सच्ची प्रेरणा देता है। सभी चाहते हैं कि कहीं न कहीं उनका भी नाम इतिहास में दर्ज हो, लेकिन जो इतिहास पुरुष होते हैं, वह कभी भी जमीन, धन-संपदा, राजसत्ता-प्राप्ति या यश-प्राप्ति के लिए लड़ाइयां नहीं लड़ते। गुरु गोबिंद सिंह जी ऐसे ही इतिहास पुरुष थे जिनकी लड़ाई अन्याय, अधर्म, अत्याचार और दमन के खिलाफ ही होती थी।गुरु गोबिंद सिंह जी बेहद ही निडर और बहादुर योद्धा थे। उनकी बहादुरी का अंदाजा आप इस दोहे से लगा सकते हैं, जो उनके बारे में लिखा गया है- “सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊँ।” उन्होंने हमेशा प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया। गोबिंद जी का कहना था कि मनुष्य को किसी को डराना चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। वे सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी दी। जिसे "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" कहा जाता है।7 अक्टूबर 1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

पटना शाहिब गुरुद्वारा कैसे पहुँचें ? |  How To Reach Patna Shahib Gurudwara In Hindi



अगर आप पटना साहिब गुरूद्वारे की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छे समय अक्टूबर-मार्च के बीच के महीनों का समय होता है। इस स्थान पर गर्मियों के मौसम में बेहद गर्मी पड़ती है। इसलिए इस मौसम में दर्शनीय स्थलों की सैर करना संभव नहीं है। मानसून के मौसम में भी पटना जाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्र काफी गर्म और नम है। पटना जाने का एक अच्छा समय छठ पर्व के दौरान है जो बिहारियों द्वारा मनाया जाता है।प्रकाशोत्‍सव के अवसर पर पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है।हम आपको बता दें कि यहां आप हवाई, सड़क और रेल नेटवर्क द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। पटना शहर देश और राज्य के प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

फ्लाइट से पटना शाहिब गुरुद्वारा कैसे पहुंचे?|  How To Reach Patna Shahib Gurudwara By Flight In Hindi

अगर आप फ्लाइट से पटना शाहिब गुरुद्वारा की यात्रा करना चाहते हैं, तो बता दें कि पटना का लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डा भारत के अधिकांश शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी कोने से पटना के लिए फ्लाइट ले सकते हैं।

बस से पटना शाहिब गुरुद्वारा कैसे पहुंचे? |  How To Reach Patna Shahib Gurudwara By Road In Hindi
देश और राज्य के अधिकांश शहरों से पटना के लिए बसें उपलब्ध हैं। इसलिए आप बस से भी पटना शाहिब गुरुद्वारा के लिए यात्रा चुन सकते हैं।

ट्रेन से पटना शाहिब गुरुद्वारा कैसे पहुंचे ? | How To Reach Patna Shahib Gurudwara By Train In Hindi
अगर आप रेल माध्यम से पटना शहर जाना चाहते हैं तो बता दें कि पटना शहर का अपना रेलवे स्टेशन है जहां के लिए आप देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन पकड़ सकते हैं।अगर आप दिल्ली से पटना साहिब गुरुद्वारे तक जाना चाहते हैं तो दिल्ली से जाने के लिए नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और आनंद विहार से 8 ट्रेने चलती हैं। इसमें तूफान एक्सप्रेस, श्रमजीवी, विक्रमशीला और ब्रह्मपुत्र सहित कई अन्य ट्रेने शामिल हैं। साधारण ट्रेन की बात करें तो इसमें 24 घंटे तक का समय लगता है। वहीं सुपरफास्ट ट्रेनें 15 घंटे में आपको पटना साहिब तक पहुंचा देती है।

पटना शाहिब गुरुद्वारा का नक्शा – Patna Sahib Gurudwara Map

गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेश

  • गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को डरना नहीं चाहिए और न ही उसे दूसरों को डराना चाहिए। वे कहते हैं: भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन।
  • गुरु जी के जीवन दर्शन था कि धर्म का मार्ग ही सत्य का मार्ग है। सत्य की हमेशा जीत होती है।
  • ईश्वर ने मनुष्यों को इसलिए जन्म दिया है, ताकि वे संसार में अच्छे कर्म करें और बुराई से दूर रहें।
  • गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
  • मनुष्य का मनुष्य से प्रेम ही ईश्वर की भक्ति है। जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
  • अगर आप केवल अपने भविष्य के बारे में सोचते है तो आप अपने वर्तमान को खो देंगे।
  • जब आप अपने अंदर बैठे अहंकार को मिटा देंगे, तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
  • मैं उन लोगों को पसंद करता हूं जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।
  • इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।
  • जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए।
  • ईश्वर ने हमें जन्म दिया ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।
  • जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तब हाथ में तलवार उठासा सही है।
  • असहायों पर अपनी तलवार चालने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहायेगा।
  • दिन-रात हमेशा ईश्वर का ध्यान करो।
  • सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होत है, जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है।
  • आप स्वयं ही स्वयं हैं, आपने स्वयं ही संसार का सृजन किया है।
  • अज्ञान व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है।
  • बिना नाम के कोई शांति नहीं है।
  • स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है।

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