मुजफ्फरपुर बिहार में हैं आस्था का केंद्र : 'बाबा गरीबनाथ स्थान मंदिर', यहां पूरी होती है हर मुराद



भारत के बिहार राज्य में मुजफ्फरपुर के पुरानी बाजार क्षेत्र में "बाबा गरीब स्थान मंदिर" स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी आस्था एवं विश्वास लोगों में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पूर्व में यह मंदिर एक छोटे से भवन में अवस्थित था। अब इसका परिसर चार कट्ठे में विस्तार पा चुका है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। वर्तमान में इस मंदिर का भव्य भवन निर्माण किया गया एवं अनेकों देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्ति स्थापित की गयी। नाम के अनुरूप यह समिति गरीबों की सेवा भी करती है। डे केयर सेंटर में आयुर्वेद व होम्योपैथ का निशुल्क इलाज होता है। समय-समय पर यह समिति दिव्यांग, गरीबों की मदद के लिए कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है। मुख्य मंदिर परिसर में, भक्तों को पिकनिक और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक बड़ा बरगद का पेड़ दिया जाता है। इस प्राचीन और पवित्र मंदिर में सबसे लोकप्रिय महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। यह हिंदू संस्कृति का अनुसरण करने वाले लोगों द्वारा प्रसिद्ध उत्सव मनाने के लिए एक बहुत ही पवित्र स्थान है। महादेव की मन्नत की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर लोगों की भीड़ के साथ शहर के भीतर बड़ी कारसेवाएं दी जाती हैं, मेलों का आयोजन किया जाता हैं। अक्सर भक्त शिवरात्रि की रात को उपवास करते हैं और भगवान शिव के नाम पर भजन गाते हैं और स्तुति करते हैं।

आईये जानतें हैं बाबा गरीबनाथ मंदिर से जुड़े ऐतेहासिक तथ्य और इतिहास

बाबा का महाश्रृंगार - महाशिवरात्रि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा गरीबनाथ धाम का करीब तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है। सन 2006 ई. में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पार्षद ने मंदिर का अधिग्रहण किया और मंदिर की व्यवस्था के लिए ग्यारह सदस्यों का एक ट्रस्ट बनवाया गया। मंदिर प्रांगन में जो कल्पवृक्ष जिनकी पूजा होती है वे शिवलिंग के प्राकट्य से भी ज्यादा पुराना है। बाबा का महाश्रृंगार प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि एवं श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को किया जाता है और पूर्णिमा को हीम लिंग का निर्माण होता है। प्रत्येक सुबह डमरू, करताल, मृदंग, घंटे के धुन के बीच होने वाली षोडशोपचार पूजन, आरती और फूलों का श्रृंगार खास है। रविवार और सोमवार को यहाँ ज्यादा भीड़ होती है। पूजा सामग्री, नैवेद्यं प्रसाद, फूल बेलपत्र, गहनों और अन्य चीजों की कई सारी दुकानें  यहाँ उपलब्ध है। मुजफ्फरपुर के सरैयागंज टावर से १ और मुजफ्फरपुर जंक्शन से महज दो किलो मीटर की दूरी पर स्थित है गरीब नाथ मंदिर। श्रावण मास में कावरिओं द्वारा सोनपुर से गंगाजल लाकर बाबा पर अर्पित करने की तीव्र शुरुआत सन 1960 के आस-पास से की गई ।
 
मान्यता है कि पहले यहां पर घना जंगल था और इन जंगलों के बीच सात पीपल के पेड़ थे। बताया जाता है कि पेड़ की कटाई के समय रक्त जैसे लाल पदार्थ निकलने लगे और यहां से एक विशालकाय शिवलिंग मिला। लोग बताते हैं कि जमीन मालिक को बाबा ने स्वपन में दर्शन दिया, तब से ही यहां पूजा-अर्चना हो रही है। 

बाबा गरीबनाथ मंदिर दर्शन चित्र १ 

मान्यता है कि यहाँ शिव अपने परिवार के साथ विराजते हैं। सूर्य, राधा कृष्ण, एवं भक्त वत्सल हनुमान भी विराजते हैं। नंदी, बाबा के गर्व गृह के मुख्य द्वार पर विराजते हैं। बाबा गरीबनाथ धाम जाग्रत शिव-स्थल के रूप में निरंतर प्रसिद्द हो रहा है । यहाँ दूर दूर से आनेवाले श्रद्धालु भक्तों की आस्था इनके दर्शनोंप्रान्त और भी गहरी होती चली जाती है।

जन-जन का विश्वास देवाधिदेव महादेव में अकारण ही नहीं है। शिव सबके है। जो भी शुद्ध मन और विश्वास के साथ इनके द्वार पर आता है, उसे दर्शन से केवल कृतार्थ ही नहीं करते बल्कि उसकी मनोकामना भी पूरी करते है। उसके दुखों को दूर करके उसके जीवन में सुख और आनंद का संचार करते है। जीवन के प्रति अटूट विश्वास और आत्मा के प्रति सजगता का निरंतर सन्देश देते हुए शिव समदर्शी भाव में सहज ही विराजते रहते है। उनके यहाँ कोई विभेद नहीं। जिसने भी उनका स्मरण किया, उनकी पूजा-अर्चना की उसी के वे हो गए । विषम परिस्थिति में भी शांतचित और शांतभाव से रहने की प्रेरणा देते हुए शिव चेतना के उस शिखर पर विराजते रहते है जहाँ से सब-कुछ को सहज ढंग से देखा-समझा जा सकता है। संसार को संकटों से मुक्त कर देने वाला ही ‘शंकर’ होता है। सबके जीवन की रक्षा करने के लिए कालकूट विष का पान कर लेने वाला ही ‘शिवशंकर’ होता है । ओधर, आशुतोष भोलेदानी ही सही अर्थ में ‘गरीबनाथ’ होते है। जिसका कोई नहीं, ईश्वर उसका सबसे ज्यादा होता है। शिव सबके अंतर्मन को झंकृत करते हुए आनंदमय वातावरण में जीव को खींच कर ले जाते है।

बाबा गरीबनाथ जन-जन के महानायक है। दूर-सुदूर से पावन गंगाजल कंधे पर कांवर में सहेज कर कठिन डगर को पार करते हुए आस्था और उल्लाष से भरे हुए आबाल्ब्रिध स्त्री-पुरुष भक्त श्रद्धालु यहाँ आ कर गंगाजल से बाबा का अभिषेक करते है ।बाबा उसकी आस्था को स्वीकार करते हुए उसके मन को तृप्त करते है ।कांवर -यात्रा जनास्था का महान सांस्कृतिक पर्व है ।इस आस्था और यात्रा को हार्दिक प्रणाम।
बाबा गरीबनाथ मंदिर दर्शन चित्र २ 

वर्तमान बिहार में मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ ख्याति प्राप्त सिद्ध शिवलिंग के रूप में मान्य है । बाबा गरीबनाथ के प्रादुर्भाव और मंदिर विकास से जुडी हुई कथाएं है । ठीक -ठीक नहीं कहा जा सकता की पहली बार यहाँ कब कांवर का जल चढ़ाया गया । मगर अब तो इनकी महिमा का इतना विस्तार हो गया है कि बिहार, उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश के साथ ही साथ देश के अनेक प्रान्तों के शिव-भक्त यहाँ जलाभिषेक के लिए आते है । पड़ोसी देश नेपाल से आने वालों की संख्या भी अच्छी -खासी रहती है । वर्ष भर दर्शनार्थियों तथा पूजा करने वालों की भीड़ यहाँ लगी रहती है ।


पवित्र सावन मास में पहलेजा से गंगा जल को कांवर पर लेकर आने वाले असंख्य कांवरियों के द्वारा हर सोमवारी के साथ ही साथ हर दिन व्यापक जलाभिषेक किया जाता है। सावन भर कावरिया पथ पर केसरिया वस्त्रों से सुसज्जित बाल, वृद्ध, स्त्री -पुरुषों का बोलबम जयघोष गूंजता रहता है। अनेकानेक स्वयंसेवी संगठनों, भक्तों -श्रधालुओं, नागरिकों तथा विभिन्न प्रतिष्ठानों के द्वारा शिविर लगाकर कांवरियों की हर तरह की सेवा की जाती है। इसके लिए उनके भीतर साक्षात् शिव ही प्रेरणा भरते है। बताया जाता है यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करते हैं। यही कारण है कि बाबा गरीबनाथ ‘मनोकामनालिंग’ के नाम से मशहूर है।

 

मंदिर में पूजा की समय-सारणी

मंदिर खुलने का दिन : सोमवार से रविवार 

मंदिर खुलने का समय : प्रातः - 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक
                                दोपहर - 2:30 से रात्रि 10 बजे तक

आरती - प्रातः 5 बजे एवं रात्रि 9 बजे 

बाबा गरीबनाथ के प्रादुर्भाव की कुछ कथाएं हैं जो निम्नलिखित है :-

पहली कथा

एक मजदूर था उसी की कुल्हाड़ी के प्रहार से शिवलिंग का प्राकट्य हुआ है। वह क्षेत्र उस समय जंगल था और मजदूर कुल्हाड़ी से वृक्ष की कटाई कर रहा था। लिंग पर अभी भी कटे हुए का निशान हैं। गरीबनाथ जन के नाम पर ही गरीबनाथ के नाम से बाबा प्रचलित हो गए। यह भी कहा जाता है की शिवलिंग पर कुल्हाड़ी का वार पड़ते ही लिंग से रक्त की धरा निकली थी।

दूसरी कथा

मुजफ्फरपुर शहर में एक साहूकार था जिसके फैले हुए व्यवसाय की देख-रेख एक मुंशी जी किया करते थे। मुंशी जी बाबा गरीबनाथ के परम भक्त थे। एका एक साहूकार को व्यवसाय में घटा लगा और मुंशी जी की नौकरी चली गयी।

मुंशी जी अपनी पत्नी और विवाहित पुत्री के साथ जीवन जी रहे थे। मुंशी जी की पुत्री की शादी एक संपन्न घराने में हुई थी, समय के साथ पुत्री के गौना का दिन निकट आ रहा था लेकिन इस कार्य के लिए धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। परन्तु मुंशी जी नियम पूर्वक मंदिर आया करते थे और बाबा की विधिपूर्वक पूजा किया करते थे। पुत्री के गौना हेतु मुंशी जी ने अपनी जमीन बेचने का निश्चय किया लेकिन इस दिन निबंधक के न आने से मकान की रजिस्ट्री नहीं हो सकी। मुंशी जी बड़े दुखी मन से घर लौटे और पत्नी को सारी कथा सुनाई। पत्नी ने आश्चर्य से मुंशी जी की ओर देखा और कहा की कुछ देर पहले ही तो आप पकवान बनाने का सारा सामान, गहना, कपड़ा रखकर मंदिर गए थे ।

ये सभी गौना का सामान स्वयं बाबा गरीबनाथ ने ही मुंशी भक्त के यहाँ पहुचाएँ थे और मुंशी जी ने धूमधाम से पुत्री का गौना किया। चूंकि मुंशी जी गरीब थे और बाबा ने गरीब का कल्याण किया इसलिए बाबा का नाम गरीबनाथ पड़ गया ।

तीसरी कथा

तीसरी कथा के अंतर्गत बाबा के गर्भगृह में राजमिस्त्री द्वारा शिवलिंग के चारों तरफ थोड़ी खुदाई की जा रही थी जिसमें शिवलिंग के चारों ओर कवर लगाया जा सके। राजमिस्त्री ने शिवलिंग के नीचे हाथ डाला तो उसे बाबा का पूरा जटा हाथ में स्पर्श करता हुआ मालूम हुआ और वह डर से मूर्छित हो गया। मंदिर के लोगों ने उसे संभाला और होश आने पर उसने सारी बात बताई । साथ ही साथ उसने यह भी कहा की वह बिना स्नान किये यह कार्य कर रहा था । दूसरे दिन स्नान-ध्यान कर बाबा से माफी मांग कर कार्य प्रारंभ किया उसे कार्य करने पर कोई कठिनाई नहीं आई ।

चौथी कथा

चौथी कथा यह है की एक दिन सुबह बाबा की आरती हो रही थी और आरती के समय ही वट-वृक्ष के तने से लटककर एक सर्प तब तक झूलता रहा जब तक की आरती खत्म नहीं हो गई, आरती खत्म होने के बाद सर्प अदृश्य हो गया। इस स्थिति का फोटोग्राफ मंदिर के रिकॉर्ड में उपलब्ध है ।

पांचवी कथा

अगली कथा है की एक ट्रेन ड्राईवर था जो बाबा का अनन्य भक्त था। शिवरात्रि के दिन वह ड्राईवर मंदिर आया । बाबा की पूजा कर उसकी आँखें लग गई और वह सो गया । उसी दिन उसे रेल गाड़ी लेकर मुजफ्फरपुर से बाहर जाना था। जब उसकी नींद खुली तो वह काफी घबरा गया और उसने रेलवे स्टेशन फोन किया फोन पर स्टेशन से जानकारी मिली की वह ड्राईवर जो सो गया था ट्रेन लेकर मुजफ्फरपुर से बाहर जा चुका है । यह कुछ नहीं बल्कि बाबा स्वयं ट्रेन ड्राईवर के रूप में गए थे। इस अद्भुत चमत्कार से ड्राईवर इतना प्रभावित हुआ की वह रेलवे सेवा से त्यागपत्र देकर बाबा की सेवा में दिन-रात लग गया ।

ऐसी एक नहीं अनेक कथाएँ हैं ।भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और फिर बाबा की भक्ति में अपने को समर्पित कर देते हैं ।

मंदिर से सम्बंधित कुछ अन्य जानकारियाँ:-

मंदिर से सम्बंधित पर्व - त्यौहार

बाबा का महाश्रृंगार प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार एवं महाशिवरात्रि को किया जाता है।


  • महाशिवरात्रि
  • हरितालिका तीज
  • श्रावण मास की प्रत्येक सोमवारी
  • हर मास की पूर्णिमा, सक्रांति इत्यादि
  • नागपंचमी
  • अनंत चतुर्दशी
  • कृष्ण जन्माष्ठमी

मंदिर की संरचना

निचली मंजिल 
  • गर्भगृह
  • गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय जी
  • महादुर्गा, महालक्ष्मी, महासरस्वती
  • शिव परिवार मंदिर
  • हनुमान जी
  • नंदी
  • राम सेतु पत्थर
  • सूर्य मंदिर
  • राधा कृष्ण मंदिर

प्रथम तल

  • श्री सत्यनारायण मंदिर एवं सत्यनारायण पूजन स्थल
  • श्री राम दरबार(भगवान श्री राम, सीता जी, लक्षमण जी, हनुमान जी)
  • शिव अन्नपूर्णा मंदिर
  • ड्रेसिंग रूम
  • पूजा रसीद काउंटर
  • न्यास समिति कार्यालय

द्वितीय तल

  • श्री सत्यनारायण पूजन स्थल
  • द्वादश ज्योतिर्लिंग
  • अध्यक्ष एवं सचिव कक्ष
  • ग्रंथालय
  • हवन कुंड
  • मुंडन स्थल एवं षष्ठी पूजन स्थल
  • १२ फीट शिवलिंग

तृतीय तल

  • सत्संग सदन
  • पुरुष महिला शौचालय
  • भक्तों के लिए भोजनालय
  • चतुर्थ तल
  • विशेष अतिथि कक्ष

नैवेद्यम

नैवेद्यम

तिरुपति के कुशल कारीगरों द्वारा तैयार लड्डू मंदिर प्रांगन के काउंटर पर उपलब्ध हैं और यहाँ से आप रुद्राक्ष एवं स्फटिक की माला भी प्राप्त कर सकते है। 

मंदिर के कुछ नियम 

  • श्रावण के सोमवार एवं महाशिवरात्रि के अतिरिक्त अन्य किसी भी दिन सूर्यास्त के पश्चात शिव लिंग पर जल न चढ़ाये |
  • सभी देवी देवताओं के समक्ष स्थापित उनके चरण चिन्ह की ही पूजा करें एवं उस पर ही पुष्प प्रसाद अर्पित करें |
  • शिवलिंग के अतिरिक्त किसी भी देव मूर्ति का स्पर्श (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर) सामान्यतः वर्जित है |
  • भक्तों के पूजा कूपन(रसीद) की राशि में ही ब्राहमण दक्षिणा इत्यादि सम्मिलित है इसलिए पूजा करने वाले पुजारी को कोई दक्षिणा या कोई राशि न दें। साथ ही साथ : अगर कोई पुजारी दक्षिणा की मांग करता है, कर्म के नाम पर किसी प्रकार का शोषण किया जाता है, पुजारी यजमान के साथ अभद्र व्यवहार करता है तो इन सबकी लिखित शिकायत, शिकायत पेटी में दाल दे एवं शिकायतकर्ता अपना नाम एवं पूरा पता तथा मोबाइल नंबर भी लिखे |
  • अगर किसी पुजारी के गले में पहचान पत्र नहीं है तथा वो लाल रंग का कुरता नहीं पहना हो तो उनसे पूजा न करावें। वो मंदिर के पुजारी नहीं है |

                                                  बोलिये बाबा गरीबनाथ की जय !! माँ पार्वती की जय !!


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