सावन माह का नाम आते ही हमारे मन में भी बादल घुमड़ने लगते हैं, ठंडी हवाओं के झौंके सुकून देने लगते हैं, तपती ज्येष्ठ और आषाढ़ में गरमी से बेहाल जी सावन में झूमने लगता है। लेकिन सावन का माह का महत्व हमारे जीवन में इतना भर नहीं है सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह भी माना जाता है और इस माह में सबसे पवित्र माना जाता है सोमवार का दिन। वैसे तो प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिये उपयुक्त माना जाता है लेकिन सावन के सोमवार की अपनी महत्ता है।ज्योतिषियों के अनुसार सावन के सोमवार को सोम या चंद्रवार भी कहते हैं। यह दिन भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस बार चार सावन सोमवार के अलावा कई दिन शुभ योग भी बन रहे हैं। सावन के 30 दिनों में 1 सर्वार्थ सिद्धि योग, 1 अमृतसिद्धि योग, 1 त्रिपुष्कर योग, 6 रवि योग बन रहे हैं। इस बार सावन की शिवरात्रि 06 अगस्त को मनाई जाएगी। चतुर्मास में सावन के महीने का विशेष महत्व माना गया है। सावन में श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव का गहरा संबंध है। भगवान शिव ने स्वयं सनत्कुमार से कहा है मुझे बारह महीनों में सावन (श्रावण) विशेष प्रिय है। इसी काल में वे श्रीहरि के साथ मिलकर लीला करते हैं। इस मास की विशेषता है कि इसका कोई दिन व्रत शून्य नहीं देखा जाता है।सावन में मंगलवार को मंगलागौरी व्रत, बुधवार को बुध गणपति व्रत, बृहस्पतिवार को बृहस्पति देव व्रत, शुक्रवार को जीवंतिका व्रत, शनिवार को बजरंग बली व नृसिंह व्रत और रविवार को सूर्य व्रत होता है।इस महीने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शतरूद्र का पाठ और पुरुष सूक्त का पाठ एवं पंचाक्षर, षडाक्षर आदि शिव मंत्रों व नामों का जप विशेष फल देने वाला होता है। श्रावण मास का माहात्म्य सुनने अर्थात श्रवण हो जाने के कारण इसका नाम श्रावण हुआ। पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र से योग होने से भी इस मास का नाम श्रावण कहलाया है। यह सुनने मात्र से सिद्धि देने वाला है। श्रावण मास व श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र और चंद्र के स्वामी भगवान शिव, सावन मास के अधिष्ठाता देवाधिदेव शिव ही हैं। आइये जानते हैं श्रावण मास के सोमवार व्रत का महत्व व पूजा विधि के बारे में।
ऐसे समझें सावन का व्रत
- सावन सोमवार व्रत : श्रावण मास में सोमवार के दिन जो व्रत रखा जाता है उसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित है।
- सोलह सोमवार व्रत : सावन को पवित्र माह माना जाता है। इसलिए सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ करने के लिए यह बेहद ही शुभ समय माना जाता है।
- प्रदोष व्रत : सावन में भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत प्रदोष काल तक रखा जाता है।
काँवर का महीना
2021 में श्रावण माह व श्रावण सोमवार
श्रावण सोमवार व्रत पूजा विधि :-
- सावन के माह में देवों के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं। पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखें। इसके बाद तांबे के लोटे (पानी का पात्र) में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें। विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक के बाद समय हो तो मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें।घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -
- इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें -
- ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवाय नमः' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
- पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें।
- उसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।
- इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
सावन की पौराणिक कथा व महत्व :-
सावन सोमवार व्रत कथा
सावन सोमवार व्रत के लाभ:-
- सावन के सोमवार को व्रत रखने दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है। सावन के महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से घर की कलह का नाश होता है। रोगों से मुक्ति मिलती है और पति और पत्नी के संबंधों में मधुरता बढ़ती है।
- अगर विवाह में अड़चनें आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए।
- आयु या स्वास्थ्य बाधा हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है।सोमवार का व्रत करने से चंद्रग्रह मजबूत होता है, जिससे फेफड़े का रोग, दमा और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।साथ ही चंद्रग्रह के मजबूत होने से व्यवसाय व नौकरी से संबंधित समस्या दूर होती है।
- जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु- केतु के संयोग से कालसर्प दोष का निर्माण होता है वे यदि सावन के प्रत्येक सोमवार व्रत रखकर भगवान भोेलेनाथ की पूजा और अभिषेक करते हैं तो यह दोष दूर होता है। कालसर्प के कारण व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । हर कार्य में बाधा आती है। व्यापार, नौकरी और शिक्षा में अड़चन बनी रहती है।
- पुराणों में बताया गया है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन सोमवार में शिवजी की पूजा करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शिवजी आपके सभी संकटों को दूर करके जीवन में आनंद भर देते हैं।
सावन के महीने में बरतें सावधानियां :-
- शास्त्रों और पुराणों में सावन के महीने में शिव आराधना पर कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
- सावन सोमवार के दिन जो व्रत ना भी रखता हो वो किसी भी अनैतिक कार्य करने से बचें, बुरे विचार मन में ना लाएं साथ ही ब्रहमचर्य का पालन करें।
- सावन के महीने में व्रत रखने वाल साधकों का दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन में दूध से भोले शंकर का अभिषेक किया जाता है, इसलिए इसका सेवन वर्जित होता है।
- सावन के महीने में शिव भक्तों को कभी बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है।
- सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है।
- सावन के महीने और आम दिनों में भगवान शिव की पूजा करते समय पूजा के सामान में कभी तुलसी के पत्तों और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- शिवलिंग पर हल्दी और कुमकुम नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा शिवलिंग पर नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
- जलाभिषेक करते समय तांबे, कांस्य और पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
- सावन में बड़े और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
- सावन हरियाली का मौसम है। यही हरियाली शिवजी को अत्यंत पसंद आती है इसलिए पेड़-पौधों को काटने से बचना चाहिए।
सावन में हर तिथियों में देवों का पूजन
- श्रावण प्रतिपदा तिथि को अग्नि का पूजन करना चाहिए।
- द्वितीया तिथि को ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिए।
- तृतीया तिथि को मां गौरी का पूजन करना चाहिए।
- चतुर्थी तिथि को गणनायक की पूजा करनी चाहिए।
- पंचमी तिथि को नाग देवता के पूजन का प्रावधान है।
- षष्ठी तिथि को नाग देवता के पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
- सप्तमी तिथि को सूर्य देवता का पूजन करना चाहिए।
- अष्टमी तिथि को भगवान शिव का पूजन उत्तम रहता है।
- नवमी को मां दुर्गा का पूजन करना चाहिए।
- दशमी तिथि को यमराज के पूजन का प्रावधान है।
- एकादशी के दिन स्वामी विश्वदेव की पूजा करनी चाहिए।
- द्वादशी तिथि को भगवान श्रीहरि के पूजन के लिए उत्तम माना जाता है।
- त्रयोदशी तिथि को कामदेव के पूजन के लिए उत्तम माना जाता है।
- चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना करनी चाहिए।
- अमावास्या के पितर और पूर्णिमा के स्वामी चंद्रमा हैं।
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