9 जून 2022, गुरुवार को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि हैं जो कि गंगा दशहरा के रूप में मनाई जाएगी। शास्त्रानुसार इस दिन मां गंगा का स्वर्ग से धरती पर आगमन हुआ था। गंगा-दशहरे के दिन जो व्यक्ति मां गंगा की आराधना करता है, उनकी धूप; दीप; नैवेद्य आदि से षोडशोपचार पूजन कर उपवास करता है, वह कायिक-वाचिक-मानसिक त्रिविध पापों से मुक्त हो जाता है।लेकिन इस बार कोरोना का कहर हैं तो आप घर पर ही दशविध स्नान कर पूर्ण फल पा सकते है। दशविध स्नान आपको अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति करवाता हैं। दशविध-स्नान से आशय शास्त्र द्वारा वर्णित दस प्रकार के स्नान से है।"गंगा-दशहरे" के दिन ‘दशविध-स्नान’ का बहुत महत्त्व होता है।तो आइये जानते हैं वे दस प्रकार कौन से है जो दशविध स्नान के अन्तर्गत आते हैं:-
दशविध स्नान क्या हैं ?
उपर्युक्त वर्णित वस्तुओं से अपनी सामर्थ्य के अनुसार लेपन व तिलक कर स्नान करने से "दशविध-स्नान" की पूर्णता होती है।
- गोमूत्र से स्नान
- गोमय से स्नान
- गौदुग्ध से स्नान
- गौदधि से स्नान
- गौघृत से स्नान
- कुशोदक से स्नान
- भस्म से स्नान
- मृत्तिका (मिट्टी) से स्नान
- मधु (शहद) से स्नान
- पवित्र जल से स्नान
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