हम सभी जानते हैं माँ की सवारी शेर पर होती है, लेकिन नवरात्र के समय में माँ का वाहन दिन के अनुसार बदलता रहता है घट स्थापना के दिन माँ किस वाहन में आ रही है और दशमी या विसर्जन के दिन किस वाहन पर जा रही हैं। इसको जानना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि माँ के वाहनों का सम्बन्ध शुभ और अशुभ फल की प्राप्ति से जुड़ा हुआ है, माता की सवारी भविष्य के बारे में कुछ संकेत देती है। इसलिए प्राचीन काल से ही मां दुर्गा के आगमन और विदाई को महत्वपूर्ण माना गया है।आप को इस बात को सुनकर अजीब सा लगा होगा की माता रानी की सवारी शेर के अलावा कुछ और भी हैं ? पर यह कैसे हो सकता है हमनें तो हमेशा यही सुना है की माँ की सवारी सिर्फ शेर पर ही होती है ! लेकिन ये सच हैं हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं।इसकी गणना नवरात्र के प्रथम दिन से की जाती है तो चलिए जानते हैं माँ दुर्गा का वाहन इस बार कौन सा है ? किस पर सवार होकर आएगी माँ हमारे घर नवरात्र के पावन पर्व के समय मां दुर्गा का वाहन क्या होना चाहिए ? और इसका कैसा रहेगा असर जानते हैं …
इसके लिए हमारे धर्म ग्रंथ में एक सुंदर सा श्लोक उपस्थित है जो इस प्रकार है-
दिनशशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥
इसका अर्थ है:-
- अगर नवरात्र की शुरुआत रविवार और सोमवार से हो तो माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है।
- यदि नवरात्र शनिवार और मंगलवार से प्रारंभ हो तो माँ घोड़े पर सवार होकर आती है।
- गुरुवार और शुक्रवार यदि नवरात्र की शुरुआत हो तो माँ भगवती डोली पर सवार होकर आती है।
- बुधवार से नवरात्र शुरू हो तो इसका अर्थ है माँ भगवती नौका पर सवार होकर आती है।
- दुर्गा हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है, घोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है।
- नाव पर आने से सब कार्यों में सिद्ध मिलती है और यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है।
विसर्जन के समय माँ किस वाहन पर जाती है ?
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
- रविवार और सोमवार माँ दुर्गा महिष पर बैठ कर चली जाती है।
- शनिवार और मंगलवार माँ दुर्गा मुर्गा पर बैठ कर जाती है।
- गुरुवार और शुक्रवार को माता हाथी पर बैठकर चली जाती है।
- बुधवार को माँ भगवती मनुष्य के कंधे पर बैठकर अपने धाम चली जाती है।
इस बार शारदीय नवरात्र 26 सितंबर (सोमवार) 2022 से 05 अक्टूबर (बुधवार) 2022 तक मनाया जायेगा।
इस बार दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरूआत सोमवार से हो रही है ऐसे में देवी मां हाथी पर विराजकर कैलाश से धरती पर आ रही हैं।भागवत पुराण के मुताबिक माना जाता है कि हाथी में सवार होकर आने का मतलब है कि सर्वत्र सुख सम्पन्नता बढे़गी। अधिक बारिश होगी। जिसके कारण चारों और हरियाली ही हरियाली होगी। इसके साथ ही अन्न का खूब उत्पादन होगा।बता दें कि इस बार माता मनुष्य के कंधे पर बैठकर कैलाश की ओर प्रस्थान करेंगी जिसके मुताबिक आने वाले साल में अतिसुख-मंगल-शुभ की प्राप्ति का संकेत मिल रहा है।
मां को करें खुश
नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अराधना करें, व्रत करें ताकि मां आपके सारे दुखों को कम कर दें।
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