संतान के सुखी और आरोग्य जीवन के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं। जिन लोगों की कोई संतान नहीं है, वे अहोई अष्टमी के दिन कुछ ज्योतिष उपाय करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। अहोई माता और गणेश जी की कृपा आप पर होगी। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत के नियम और उपाय के बारे में..
अहोई अष्टमी व्रत के नियम
- अहोई अष्टमी के व्रत में पूजा से पहले भगवान गणेश को याद करना बिल्कुल ना भूलें।
- अहोई अष्टमी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। जो महिला इस व्रत को निर्जल रहकर करती है। उसे इस व्रत के पूर्ण फल प्राप्त होते हैं।
- अहोई अष्टमी के व्रत में महिलाओं को काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
- अहोई अष्टमी के दिन निर्जला व्रत रखते हैं। अस्वस्थ और गर्भवती महिलाएं अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए व्रत करें, तो ठीक है।
- अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं के मिट्टी से जुड़ी कार्य नहीं करने चाहिए। इस दिन जमीन या मिट्टी से जुड़े कार्यों में खुरपी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- अहोई अष्टमी पर व्रती महिलाओं को किसी भी प्रकार से धारदार या नुकीली चीजें जैसे चाकू, कैंची और सूई आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। इनका इस्तेमाल अशुभ माना जाता है।
- अहोई अष्टमी व्रत से एक दिन पूर्व घर में तामसिक चीजों का सेवन न करें। ऐसा करने से व्रत निष्फल हो जाएगा।
- अहोई अष्टमी के व्रत में तांबे के लोटे से अर्घ्य नहीं दिया जाता है। क्योंकि इस दिन तांबे के लोटे को अशुद्ध माना जाता है। यदि कोई महिला इस दिन तांबे के लोटे से अर्घ्य देती है तो उसके व्रत का फल नष्ट हो जाता है।अहोई अष्टमी की रात तारों को अर्घ्य देने के लिए पीतल के लोटे या स्टील के पात्र का उपयोग कर सकते हैं। पूजा के समय अहोई माता की आरती और अहोई अष्टमी व्रत की कथा अवश्य सुनें।
- व्रत वाले दिन शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करते समय बच्चों को अपने पास बैठाएं। फल, मिठाई और पकवान आदि का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद स्वरुप बच्चों को दे दें। इस पूजा में अहाई माता को दूध-चावल का भोग लगाने की परंपरा है।
- अहोई अष्टमी की पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या फिर जरूरतमंद को दान दें।
- अहोई अष्टमी के व्रत का पारण रात्रि के समय करते हैं।
- अहोई अष्टमी का व्रत करने वाली महिला को दिन में सोना नहीं चाहिए। क्योंकि व्रत में पूजा पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
- किसी बुजुर्ग व्यक्ति का अनादर ना करें ।
अहोई अष्टमी पर संतान प्राप्ति उपाय
नि:संतान दंपत्ति को अहोई अष्टमी के दिन गणेश जी को बेलपत्र अर्पित करें और ‘ओम पार्वतीप्रियनंदनाय नम:’ मंत्र का 11 माला जप करें। अहोई अष्टमी से 45 दिन तक यह लगातार करना होता है।
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