Dhanteras 2024: धनतेरस पर क्यों जलाए जाते हैं 13 दीये, क्या है इसका महत्व



हिंदू धर्म में दिवाली एक विशेष त्योहार है, धनतेरस पहला दिन है जो भारत में पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का प्रतीक है। इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर (Dhanteras 2024 Date)  दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। चूँकि यह हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की त्रयोदशी/13वीं तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। 


तकनीकी रूप से धनतेरस पूर्णिमा गणना के आधार पर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। परंपरागत रूप से यह दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए समर्पित है जो चिकित्सक देवता हैं। वह वही थे जिन्होंने देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से अमृत खरीदा था और उन्हें आयुर्वेद के जनक के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने जड़ी-बूटियों और उनके औषधीय प्रभावों का ज्ञान प्रतिपादित किया और मनुष्यों तक पहुंचाया।


धनतेरस का दिन भी काफी खास और शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन लोग सोने-चांदी की खरीदारी के अलावा कुछ विशेष नियमों का भी पालन करते हैं। इन्हीं में से एक है धनतेरस पर 13 दीये जलाए जाने की परंपरा। शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस के मौके पर इस दिन 13 दीपक अलग-अलग जगहों पर जलाया जाता है और यह बेहद शुभ माना जाता है। इसी के साथ चलिए जानते हैं कि धनतेरस की इस परंपरा के पीछे क्या वजह है ?


धनतेरस के दिन 13 दीये कैसे और क्यों जलाए जाते हैं ?


धनतेरस पर किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों में से एक शाम के समय 13 दीये जलाना है। आमतौर पर इस उद्देश्य के लिए मिट्टी के दीयों का उपयोग किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है और इनमें से प्रत्येक दीये का एक विशेष महत्व है।


  • धनतेरस के दिन पहला दीया घर के बाहर कूड़ेदान के पास दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं। इसे यम का दीपक भी कहा जाता है और यह परिवार के सदस्यों की असामयिक मृत्यु को दूर करता है। इसमें सरसों के तेल का उपयोग करें।  
  • दूसरा दीया घी से जलाकर घर के मंदिर में रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 
  • तीसरा दीया मां लक्ष्मी के सामने जलाया जाता है। ये दीया धन लाभ और जीवन में सफलता का आशीर्वाद पाने के लिए जलाना शुभ माना जाता है। 
  • चौथा दीया तुलसी मां के समक्ष जलाना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। 
  • पांचवां दीया को घर के मुख्य दरवाजे के सामने जलाया जाता है।ऐसी मान्यता है कि यह घर से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। 
  • छठा दीया सरसों के तेल से जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखा जाता है। मान्यता है कि इससे आर्थिक संकट से बचाव होता है। 
  • सातवां दीया घर के आसपास किसी मंदिर में जाकर जलाया जाता है।कहते हैं इससे घर में खुशहाली आती है। 
  • आठवां दीया कूड़ेदान के पास जलाना शुभ होता है. ये दीया बुराई का नाश करके घर-परिवार में खुशियां लेकर आता है। 
  • नौवां दीया शौचालय के बाहर जलाया जाता है। कहते हैं ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। 
  • दसवां दीया घर की छत पर जलाना चाहिए। ये जीवन से अंधकार को दूर कर उजाला भर देता है। 
  • ग्यारहवां दीया घर की खिड़की के पास रखना शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि ये दीया बुरी और नकारात्मक ऊर्जा से लड़ने में मददगार साबित होता है। 
  • बारहवां दीया घर की सबसे ऊंचे स्थान पर रखा जाता है, ताकि घर-परिवार में सबकी स्वास्थ्य अच्छी रहे। 
  • तेरहवां दीया घर के चौराहे को सजाने के लिए रखा जाता है। ये दिखने में खूबसूरत होने के साथ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी बढ़ाता है। 

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