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Dhanteras 2025: धनतेरस पर 13 दीये क्यों जलाते हैं? जानिए इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

धनतेरस 2025 पर 13 दीपक क्यों जलाए जाते हैं? जानिए इस परंपरा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व, और कैसे ये दीये लाते हैं घर में सुख, समृद्धि और सुरक्षा।

हिंदू धर्म में दिवाली एक विशेष त्योहार है, धनतेरस पहला दिन है जो भारत में पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का प्रतीक है। इस साल धनतेरस 18 अक्टूबर (Dhanteras 2025 Date)  दिन शनिवार को मनाया जाएगा। चूँकि यह हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की त्रयोदशी/13वीं तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। 

तकनीकी रूप से धनतेरस पूर्णिमा गणना के आधार पर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। परंपरागत रूप से यह दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए समर्पित है जो चिकित्सक देवता हैं। वह वही थे जिन्होंने देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से अमृत खरीदा था और उन्हें आयुर्वेद के जनक के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने जड़ी-बूटियों और उनके औषधीय प्रभावों का ज्ञान प्रतिपादित किया और मनुष्यों तक पहुंचाया।

धनतेरस का दिन भी काफी खास और शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन लोग सोने-चांदी की खरीदारी के अलावा कुछ विशेष नियमों का भी पालन करते हैं। इन्हीं में से एक है धनतेरस पर 13 दीये जलाए जाने की परंपरा। शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस के मौके पर इस दिन 13 दीपक अलग-अलग जगहों पर जलाया जाता है और यह बेहद शुभ माना जाता है। इसी के साथ चलिए जानते हैं कि धनतेरस की इस परंपरा के पीछे क्या वजह है ?

धनतेरस के दिन 13 दीये कैसे और क्यों जलाए जाते हैं ?

धनतेरस पर किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों में से एक शाम के समय 13 दीये जलाना है। आमतौर पर इस उद्देश्य के लिए मिट्टी के दीयों का उपयोग किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है और इनमें से प्रत्येक दीये का एक विशेष महत्व है।

  • धनतेरस के दिन पहला दीपक घी से जलाकर मां लक्ष्मी के सामने पूजा कक्ष में जलाया जाता है। ये दीया धन लाभ और जीवन में सफलता का आशीर्वाद पाने के लिए जलाना शुभ माना जाता है। 
  • दूसरा दीपक घी से जलाकर कुबेर देव के लिए पूजा कक्ष में रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 
  • तीसरा दीपक घी से जलाकर धन्वन्तरि भगवान के लिए पूजा कक्ष में रखना चाहिए।ताकि घर-परिवार में सबकी स्वास्थ्य अच्छी रहे। 
  • चौथा दीपक घर के मुख्य दरवाजे के सामने जलाया जाता है।ऐसी मान्यता है कि यह घर से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। 
  • पांचवां दीपक घर की खिड़की के पास रखना शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि ये दीया बुरी और नकारात्मक ऊर्जा से लड़ने में मददगार साबित होता है।
  • छठा दीपक घर की छत पर जलाना चाहिए। ये जीवन से अंधकार को दूर कर उजाला भर देता है। 
  • सातवां दीपक तुलसी मां के समक्ष जलाना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। 
  • आठवां दीपक सरसों के तेल से जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखा जाता है। मान्यता है कि इससे आर्थिक संकट से बचाव होता है। 
  • नौवां दीपक रसोईघर में जलाना चाहिए।रसोईघर को अन्न का घर माना जाता है और दीपक जलाने से अन्नपूर्णा देवी प्रसन्न होती हैं। मान्यता है कि इससे घर में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती।दीपक जलाते समय “अन्नपूर्णे सदापूर्णे” या लक्ष्मी माता का कोई मंत्र बोल सकते हैं।
  • दसवां दीपक पानी वाले स्थान पर जलाना चाहिए।”जल” जीवन का आधार है। जल तत्व की शुद्धि और उसकी सकारात्मक ऊर्जा के लिए पानी वाले स्थान (जैसे नल, कुआँ, हैंडपंप, टंकी, या घर का वॉश एरिया) पर दीपक जलाया जाता है।
  • ग्यारहवां दीपक गोवर्धन भगवान के नाम पर गोमाता के गोबर के पास जलाया जाता है।
  • बारहवां दीपक झाड़ू के सामने जलना चाहिए। भारतीय परंपरा में झाड़ू को माँ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है क्योंकि झाड़ू गंदगी हटाती है, ठीक वैसे ही जैसे लक्ष्मी दरिद्रता हटाती हैं।साफ-सुथरे स्थान में ही लक्ष्मी वास करती हैं।जहाँ सफाई, वहाँ लक्ष्मी।
  • तेरहवां दीपक घर के बाहर कूड़ेदान के पास दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं। इसे यम का दीपक भी कहा जाता है और यह परिवार के सदस्यों की असामयिक मृत्यु को दूर करता है। इसमें सरसों के तेल का उपयोग करें।  

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