बिहार का आधुनिक इतिहास | Modern History of Bihar

आधुनिक बिहार का संक्रमण काल १७०७(1707) ई. से प्रारम्भ होता है। १७०७(1707) ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजकुमार अजीम-ए-शान बिहार का बादशाह बना। जब फर्रुखशियर १७१२-१९(1712-19) ई. तक दिल्ली का बादशाह बना तब इस अवधि में बिहार में चार गवर्नर बने। १७३२(1732) ई. में बिहार का नवाब नाजिम को बनाया गया।
2. इस्लाम का बिहार आगमन
3. बिहार में यूरोपीय व्यापारियों का आगमन
4. अंग्रेज और आधुनिक बिहार
5. द्वैध शासन और बिहार
6. बक्सर की लड़ाई और बिहार
7. बिहार में अंग्रेज-विरोधी विद्रोह
7.1 बहावी आन्दोलन
7.2 नोनिया विद्रोह
7.3 लोटा विद्रोह
7.4 छोटा नागपुर का विद्रोह
7.5 तमाड़ विद्रोह
7.6 हो विद्रोह
7.7 कोल विद्रोह
7.8 भूमिज विद्रोह
7.9 चेर विद्रोह
7.10 संथाल विद्रोह
7.11 पहाड़िया विद्रोह
7.12 खरवार विद्रोह
7.13 सरदारी लड़ाई
7.14 मुण्डा विद्रोह
7.15 सफाहोड आन्दोलन
7.16 ताना भगत आन्दोलन
8. बिहार में स्वतन्त्रता आन्दोलन
9. अगस्त क्रांति
9.1 रामजीवन सिंह
10. आधुनिक बिहार के इतिहास के स्रोत
1. सिक्ख, इस्लाम और बिहार:-
सिक्खों के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर का बिहार में आगमन सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ था। वे सासाराम, गया होते हुए पटना आये तथा कुछ दिनों में पटना निवास करने के बाद औरंगजेब की सहायता हेतु असम चले गये। पटना प्रस्थान के समय वह अपनी गर्भवती पत्नी गुजरी देवी को भाई कृपाल चन्द के संरक्षण में छोड़ गये, तब पटना में २६ (26)दिसम्बर १६६६(1666) में गुरु गोविन्द सिंह (दसवें गुरु) का जन्म हुआ। साढ़े चार वर्ष की आयु में बाल गुरु पटना नगर छोड़कर अपने पिता के आदेश पर पंजाब में आनन्दपुर चले गये। गुरु पद ग्रहण करने के बाद उन्होंने बिहार में अपने मसनद (धार्मिक प्रतिनिधि) को भेजा। १७०८(1708) ई. में गुरु के निधन के बाद उनकी पत्नी माता साहिब देवी के प्रति भी बिहार के सिक्खों ने सहयोग कर एक धार्मिक स्थल बनाया।
2. इस्लाम का बिहार आगमन:-
- बिहार में सर्वाधिक लोकप्रिय सिलसिलों में फिरदौसी सर्वप्रमुख सिलसिला था। मखदूय सफूउद्दीन मनेरी सार्वाधिक लोकप्रिय सिलसिले सन्त हुए जो बिहार शरीफ में अहमद चिरमपोश के नाम से प्रसिद्ध सन्त हुए। समन्वयवादी परम्परा के एक महत्वपूर्ण सन्त दरिया साहेब थे।
- विभिन्न सूफी सन्तों ने धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक सद्भाव, मानव सेवा और शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व का उपदेश दिया।
3. बिहार में यूरोपीय व्यापारियों का आगमन:-
- बिहार में सर्वप्रथम पुर्तगाली आये। ब्रिटिश व्यापारियों द्वारा १६२०(1620) ई. में पटना के आलमगंज में व्यापारिक केन्द्र खोला गया। उस समय बिहार का सूबेदार मुबारक खान था उसने अंग्रेजों को रहने के लिए व्यवस्था की, लेकिन फैक्ट्री १६२१(1621) ई. में बन्द हो गई।
- व्यापारिक लाभ की सम्भावना को पता लगाने के लिए सर्वप्रथम अंग्रेज पीटर मुण्डी आये, किन्तु उन्हें १६५१(1651) ई. फैक्ट्री खोलने की इजाजत मिली। १६३२(1632) ई. में डच व्यापारियों ने भी एक फैक्ट्री की स्थापना की। डेन व्यापारियों ने नेपाली कोठी (वर्तमान पटना सिटी) में व्यापारिक कोठी खोली।
- इन यूरोपीय व्यापारियों की गतिविधियों के द्वारा बिहार का व्यापार पश्चिम एशिया, मध्य एशिया के देशों, अफ्रीका के तटवर्ती देशों और यूरोपीय देशों के साथ बढ़ता रहा।
4. अंग्रेज और आधुनिक बिहार:-
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बंगाल के नवाब, मीर कासिम |
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शुजाउद्दौला, मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के राज्य पर्यन्त नवाब वज़ीर के रूप में रहा। |
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मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय, ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी के बंधक के रूप में, १७८१ |
5. द्वैध शासन और बिहार:-
- २८(28) अगस्त १७७१(1771) पत्र द्वारा कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने द्वैध शासन को समाप्त करने की घोषणा की।
- १७८१-८२(1781-82) ई. में ही सुल्तानाबाद की रानी महेश्वरी ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया।
- १७८३ (1783)ई. में बिहार में पुनः अकाल पड़ा, जॉन शोर को इसके कारणों एवं प्रकृति की जाँच हेतु नियुक्त किया गया। जॉन शोर ने एक अन्नागार के निर्माण की सिफारिश की।
- १७८१(1781) ई. में ही बनारस के राजा चैत्य सिंह का विद्रोह हुआ इसी समय हथवा के राजा फतेह सिंह, गया के जमींदार नारायण सिंह एवं नरहर के जमींदार राजा अकबर अली खाँ भी अंग्रेजों के खिलाफ खड़े थे।
- १७७३(1773) ई. में राजमहल, खड्गपुर एवं भागलपुर को एक सैन्य छावनी में तब्दील कर जगन्नाथ देव के विद्रोह को दबाया गया।
- १८०३(1803) ई. में रूपनारायण देव के ताल्लुकदारों धरम सिंह, रंजीत सिंह, मंगल सिंह के खिलाफ कलेक्टर ने डिक्री जारी की फलतः यह विद्रोह लगान न देने के लिए हुआ।
- १७७१(1771) ई. में चैर आदिवासियों द्वारा स्थायी बन्दोबस्त भूमि कर व्यवस्था विरोध में विद्रोह कर दिया।
6. बक्सर की लड़ाई और बिहार:-
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बक्सर का युद्ध |
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१७६५ में भारत की राजनैतिक स्थिति का मानचित्र |
१७६४(1764) ई. बक्सर का युद्ध हुआ। युद्ध के बाद बिहार में अनेकों विद्रोह हुए। इस समय बिहार का नवाब मीर कासिम था।
- जॉन शोर के सिफारिश से अन्नागार का निर्माण पटना गोलघर के रूप में १७८४(1784) ई. में किया गया।
- जब बिहार में १७८३(1783) ई. में अकाल पड़ा तब अकाल पर एक कमेटी बनी जिसकी अध्यक्षता जॉन शोर था उसने अन्नागार निर्माण की सिफारिश की।
- गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस के आदेश पर पटना गाँधी मैदान के पश्चिम में विशाल गुम्बदकार गोदाम बना इसका निर्माण १७८४-८५(1784-85) ई. में हुआ। जॉन आस्टिन ने किया था।
- १७८४(1784) ई. में रोहतास को नया जिला बनाया गया और थामस लॉ इसका मजिस्ट्रेट एवं क्लेवर नियुक्त किया गया।
- १७९०(1790) ई. तक अंग्रेजों ने फौजदारी प्रशासन को अपने नियन्त्रण में ले लिया था। पटना के प्रथम मजिस्ट्रेट चार्ल्स फ्रांसिस ग्राण्ड को नियुक्त किया गया था।
- १७९०(1790) ई. तक अंग्रेजों ने फौजदारी प्रशासन को अपने नियन्त्रण में ले लिया था। पटना के प्रथम मजिस्ट्रेट चार्ल्स फ्रांसिस ग्राण्ड को नियुक्त किया गया था।
7. बिहार में अंग्रेज-विरोधी विद्रोह:-
7.1 बहावी आन्दोलन:-
- १८२८(1828) ई. से १८६८(1868) ई. तक बंगाल में फराजी आन्दोलन हुआ जिसके नेता हाजी शतीयतुल्लाह थे। विलायत अली ने भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया।
- १८३१(1831) ई. में सिक्खों के खिलाफ अभियान में सैयद अहमद की मृत्यु हो गई।
- बिहार में बहावी आन्दोलन १८५७(1857) ई. तक सक्रिय रहा और १८६३(1863) ई. में उसका पूर्णतः दमन हो सका। बहावी आन्दोलन स्वरूप सम्प्रदाय था परन्तु हिन्दुओं ने कभी इसका विरोध नहीं किया। १८६५(1865) ई. में अनेक बहावियों को सक्रिय आन्दोलन का आरोप लगाकर अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया।
7.2 नोनिया विद्रोह:-
7.3 लोटा विद्रोह:-
7.4 छोटा नागपुर का विद्रोह:-
7.5 तमाड़ विद्रोह:-
7.6 हो विद्रोह:-
7.7 कोल विद्रोह:-
7.8 भूमिज विद्रोह:-
7.9 चेर विद्रोह:-
7.10 संथाल विद्रोह:-
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६०० संथालों का दल ४०वें रेजिमेण्ट के ५० सिपाहियों पर आक्रमण करता हुआ। |
7.11 पहाड़िया विद्रोह:-
7.12 खरवार विद्रोह:-
7.13 सरदारी लड़ाई:-
7.14 मुण्डा विद्रोह:-
- बिरसा मुण्डा का जन्म १८७५(1875) ई. में रांची के तमार थाना के अन्तर्गत चालकन्द गाँव में हुआ था। उसने अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की थी। बिरसा मुण्डा ने मुण्डा विद्रोह पारम्परिक भू-व्यवस्था का जमींदारी व्यवस्था में परिवर्तन हेतु धार्मिक-राजनीतिक आन्दोलन का स्वरूप प्रदान किया।
- बिरसा मुण्डा को उल्गुहान (महान विद्रोही) कहा गया है। बिरसा मुण्डा ने पारम्परिक भू-व्यवस्था का जमींदारी व्यवस्था को धार्मिक एवं राजनीतिक आन्दोलन का रूप प्रदान किया।
- बिरसा मुण्डा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया को सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया। उसने नैतिक आचरण की शुद्धता, आत्म-सुधार और एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के अस्तित्व को अस्वीकारते हुए अपने अनुयायियों को सरकार को लगान न देने का आदेश दिया।
- १९००(1900) ई. बिरसा मुण्डा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे जेल में डाल दिया जहाँ हैजा बीमारी से उनकी मृत्यु हो गयी।
7.15 सफाहोड आन्दोलन:-
7.16 ताना भगत आन्दोलन:-
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झारखंड की राजधानी रांची जिले में वीर जात्रा ताना भगत की प्रतिमा। |
8. बिहार में स्वतन्त्रता आन्दोलन:-
- २५(25) जुलाई १८५४(1854) को मुजफ्फरपुर में भी अंग्रेज अधिकारियों की असन्तुष्ट सैनिकों ने हत्या कर दी।
- २५ (25)जुलाई के दिन दानापुर छावनी के तीन रेजीमेण्टों ने विद्रोह कर आरा जाकर कुँअर सिंह के विद्रोहों में शामिल हो गया।
- सिगौली में भी सैनिकों ने विद्रोह कर अपने कमाण्डर मेजर होल्यस तथा उनकी पत्नी को मार डाला।
- ३०(30) जुलाई तक पटना, सारण, चम्पारण आदि जिलों में सैनिक शासन लागू हो गया।
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वीर कुंवर सिंह |
9. अगस्त क्रांति:-
9.1 रामजीवन सिंह:-
10. आधुनिक बिहार के ऐतिहासिक स्रोत:-
- आधुनिक बिहार की जानकारी, बिहार के अंग्रेजी शासन की गतिविधियों, द्वैध शासन प्रणाली का प्रभाव, विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक आन्दोलन, पत्र-पत्रिकाओं आदि में मिलती हैं।
- विभिन्न टीकाकारों, लेखकों, कवियों की रचनाओं से आधुनिक बिहार की जानकारी मिलती है।
- आधुनिक काल में बिहार में राजनीतिक जागरूकता बढ़ गई थी।