Sawan 2023 : 19 साल बाद दो महीने का होगा सावन मास!
ऐसे समझें सावन का व्रत
- सावन सोमवार व्रत : श्रावण मास में सोमवार के दिन जो व्रत रखा जाता है उसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित है।
- सोलह सोमवार व्रत : सावन को पवित्र माह माना जाता है। इसलिए सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ करने के लिए यह बेहद ही शुभ समय माना जाता है।
- प्रदोष व्रत : सावन में भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत प्रदोष काल तक रखा जाता है।
साल 2023 का सावन और भी ज्यादा विशेष है क्योंकि इस साल एक नहीं बल्कि सावन के दो महीने होंगे।इसके अलावा सावन महीने की शुरूआत बहुत ही शुभ योग एन्द्र योग में होने जा रही है। इस योग में पूजा-पाठ करने पर बहुत ही शुभफलदायी होता है। आइए जानते हैं कि 2023 में सावन दो महीने का क्यों हैं ? 2023 में सावन का महीना (Savan ka Mahina) कब से शुरू होगा? 2023 में सावन के सोमवार कितने हैं?
2023 में सावन दो महीने का क्यों हैं ?
आपको बता दें कि इस बार 2 महीने का सावन पड़ने की वजह अधिकमास है। विक्रम संवत 2080 के अनुसार, इस वर्ष अधिकमास लग रहा है। यदि आपके मन में भी प्रश्न उठ रहा है कि ऐसा कैसे संभव है, तो आपको बता दें कि वैदिक पंचांग के अनुसार चंद्र वर्ष में 354 और सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं। इन दोनों के बीच 11 दिनों का अंतर देखने को मिलता है और हर तीन साल के अंतराल पर पड़ने से यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है। इसी प्रकार, प्रत्येक तीसरे साल में 33 दिनों का अलग अतिरिक्त महीना बन जाता है जिसे अधिकमास कहा जाता है और इसकी वजह से ही वर्ष 2023 में सावन दो महीनों का हो रहा है।
कब शुरू होगा सावन का महीना?
साल 2023 में, सावन मास 04 जुलाई मंगलवार से शुरू हो कर 31 अगस्त तक जारी रहेगा। इस दौरान भक्तों को इस सावन के पवित्र महीने की पवित्रता का लाभ उठाने और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इस बार सावन सोमवारी व्रत दो चरणों में संपन्न होंगे।पहला चरण 4 से 17 जुलाई तक, 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास और उसके बाद पुन: 17 अगस्त से 31 अगस्त तक श्रावण होगा। बता दें कि सावन अधिकमास के कारण दो महीने यानी 59 दिनों का होगा लेकिन श्रावण मास में किये जाने वाले अनुष्ठान दो चरणों में पूरे होंगे। जिसमें पहले 15 दिनों के कृष्ण पक्ष की मान्यता होगी और उसके बाद दूसरा 15 दिनों का शुक्ल पक्ष मान्य होगा। इन्हीं दो चरणों में पड़ने वाले सोमवारी व्रत ही मान्य होंगे। आगे पढ़ें कौन-कौन से सोमवार व्रत मान्य हैं और कौन से नहीं।
Sawan 2023: कब-कब रखे जायेंगे सावन सोमवार व्रत
पहले चरण में सावन 4 से 17 जुलाई तक जिसमें दो सावन सोमवारी व्रत पड़ेंगे-
पहला सावन सोमवार व्रत- 10 जुलाई
दूसरा सावन सोमवार व्रत- 17 जुलाई
इस बीच मलमास 18 जुलाई से आरम्भ होकर 16 अगस्त तक रहेगा. जिसमें पड़ने वाले सोमवार व्रत मान्य नहीं होंगे.
दूसरे चरण में सावन 17 अगस्त से 31 अगस्त तक है इसमें भी दो सावन सोमवारी व्रत पड़ेंगे-
तीसरा सावन सोमवार व्रत- 21 अगस्त
चौथा सावन सोमवार व्रत- 28 अगस्त
श्रावण सोमवार व्रत पूजा विधि :-
- सावन के माह में देवों के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं। पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखें। इसके बाद तांबे के लोटे (पानी का पात्र) में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें। विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय‘ मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक के बाद समय हो तो मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें।घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें –
- इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें –
- ध्यान के पश्चात ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ॐ शिवाय नमः’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
- पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें।
- उसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।
- इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
सावन की पौराणिक कथा व महत्व :-
सावन सोमवार व्रत कथा
सावन सोमवार व्रत के लाभ:-
- सावन के सोमवार को व्रत रखने दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है। सावन के महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से घर की कलह का नाश होता है। रोगों से मुक्ति मिलती है और पति और पत्नी के संबंधों में मधुरता बढ़ती है।
- अगर विवाह में अड़चनें आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए।
- आयु या स्वास्थ्य बाधा हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है।सोमवार का व्रत करने से चंद्रग्रह मजबूत होता है, जिससे फेफड़े का रोग, दमा और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।साथ ही चंद्रग्रह के मजबूत होने से व्यवसाय व नौकरी से संबंधित समस्या दूर होती है।
- जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु- केतु के संयोग से कालसर्प दोष का निर्माण होता है वे यदि सावन के प्रत्येक सोमवार व्रत रखकर भगवान भोेलेनाथ की पूजा और अभिषेक करते हैं तो यह दोष दूर होता है। कालसर्प के कारण व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । हर कार्य में बाधा आती है। व्यापार, नौकरी और शिक्षा में अड़चन बनी रहती है।
- पुराणों में बताया गया है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन सोमवार में शिवजी की पूजा करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शिवजी आपके सभी संकटों को दूर करके जीवन में आनंद भर देते हैं।
सावन के महीने में बरतें सावधानियां :-
- शास्त्रों और पुराणों में सावन के महीने में शिव आराधना पर कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
- सावन सोमवार के दिन जो व्रत ना भी रखता हो वो किसी भी अनैतिक कार्य करने से बचें, बुरे विचार मन में ना लाएं साथ ही ब्रहमचर्य का पालन करें।
- सावन के महीने में व्रत रखने वाल साधकों का दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन में दूध से भोले शंकर का अभिषेक किया जाता है, इसलिए इसका सेवन वर्जित होता है।
- सावन के महीने में शिव भक्तों को कभी बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है।
- सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है।
- सावन के महीने और आम दिनों में भगवान शिव की पूजा करते समय पूजा के सामान में कभी तुलसी के पत्तों और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- शिवलिंग पर हल्दी और कुमकुम नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा शिवलिंग पर नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
- जलाभिषेक करते समय तांबे, कांस्य और पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
- सावन में बड़े और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
- सावन हरियाली का मौसम है। यही हरियाली शिवजी को अत्यंत पसंद आती है इसलिए पेड़-पौधों को काटने से बचना चाहिए।
सावन में हर तिथियों में देवों का पूजन
- श्रावण प्रतिपदा तिथि को अग्नि का पूजन करना चाहिए।
- द्वितीया तिथि को ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिए।
- तृतीया तिथि को मां गौरी का पूजन करना चाहिए।
- चतुर्थी तिथि को गणनायक की पूजा करनी चाहिए।
- पंचमी तिथि को नाग देवता के पूजन का प्रावधान है।
- षष्ठी तिथि को नाग देवता के पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
- सप्तमी तिथि को सूर्य देवता का पूजन करना चाहिए।
- अष्टमी तिथि को भगवान शिव का पूजन उत्तम रहता है।
- नवमी को मां दुर्गा का पूजन करना चाहिए।
- दशमी तिथि को यमराज के पूजन का प्रावधान है।
- एकादशी के दिन स्वामी विश्वदेव की पूजा करनी चाहिए।
- द्वादशी तिथि को भगवान श्रीहरि के पूजन के लिए उत्तम माना जाता है।
- त्रयोदशी तिथि को कामदेव के पूजन के लिए उत्तम माना जाता है।
- चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना करनी चाहिए।
- अमावास्या के पितर और पूर्णिमा के स्वामी चंद्रमा हैं।