
सावन सोमवार 2025 – शिव भक्ति में लीन रहने का पावन अवसर
सावन सोमवार 2025 में करें शिव आराधना, जानें व्रत तिथि, पूजन विधि, कथा और कांवड़ यात्रा से जुड़ी आस्था। शिवभक्ति में लीन होने का शुभ समय।
श्रावण मास यानी शिव भक्ति, सात्विकता और साधना का महीना। यह मास न केवल वातावरण को हरियाली से भर देता है, बल्कि भक्तों के हृदय को भी भक्ति से सराबोर कर देता है। इस पावन मास में भगवान शिव की आराधना विशेष पुण्यकारी मानी जाती है। विशेषकर सावन के सोमवार को व्रत रखकर भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है।
सावन सोमवार 2025 में श्रद्धालु विशेष संकल्प के साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करेंगे, व्रत रखेंगे और मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करेंगे। इस लेख में जानिए सावन सोमवार 2025 की तारीखें, व्रत विधि, महत्व, कथा और ज्योतिषीय लाभ।
📅 सावन सोमवार 2025 तिथियां (Sawan Somvar 2025 Dates)
हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में श्रावण मास का आरंभ 10 जुलाई (गुरुवार) को होगा और समापन 8 अगस्त (शुक्रवार) को। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ेंगे:
दिनांक | दिन | व्रत |
---|---|---|
14 जुलाई 2025 | सोमवार | पहला सावन सोमवार |
21 जुलाई 2025 | सोमवार | दूसरा सावन सोमवार |
28 जुलाई 2025 | सोमवार | तीसरा सावन सोमवार |
4 अगस्त 2025 | सोमवार | चौथा सावन सोमवार |
11 अगस्त 2025 | सोमवार | अतिरिक्त/पंचम सोमवार (कुछ पंचांगों के अनुसार) |
🕉️ व्रत का धार्मिक महत्व (Spiritual Significance)
सावन सोमवार व्रत को “सोमवती व्रत” के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत:
- कुंवारी कन्याओं द्वारा उत्तम वर की प्राप्ति हेतु रखा जाता है।
- विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए व्रत करती हैं।
- पुरुष भी इसे शिव कृपा व पारिवारिक सुख-शांति के लिए करते हैं।
शिवपुराण में उल्लेख है कि इस मास में किया गया पूजन और व्रत हजार गुना फल प्रदान करता है।
🧘♂️ व्रत एवं पूजन विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi)
- ब्राह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल आदि अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- व्रत कथा पढ़ें और प्रभु से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
- दिनभर फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें (शक्ति अनुसार)।
- संध्या आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
📖 सावन सोमवार व्रत कथा

🕉️ प्रथम कथा — गरीब ब्राह्मण की श्रद्धा और शिव कृपा
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह अत्यंत धार्मिक और भगवान शिव का परम भक्त था। जीवन भिक्षा मांगकर चलता था, लेकिन फिर भी हर सोमवार को श्रद्धा से व्रत करता, शिवलिंग पर जल चढ़ाता और बेलपत्र अर्पित करता।
उसकी पत्नी भी उतनी ही श्रद्धालु और नियमबद्ध थी। गरीबी कभी भी उनके विश्वास और भक्ति में बाधा नहीं बनी।
🌙 शिवजी के स्वप्न दर्शन
एक दिन ब्राह्मण को स्वप्न में भगवान शिव के दर्शन हुए। शिवजी ने कहा —
“तुम्हारी श्रद्धा और भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। शीघ्र ही तुम्हारी दरिद्रता समाप्त होगी।”
कुछ ही दिन बाद नगर के राजा ने ब्राह्मण को राजपुरोहित नियुक्त कर लिया। उनका जीवन पूरी तरह बदल गया — धन, सम्मान और सुख सब प्राप्त हुआ, परंतु उन्होंने अपनी भक्ति और विनम्रता नहीं छोड़ी।
वे अब भी हर सोमवार व्रत करते और दूसरों को भी शिव भक्ति के लिए प्रेरित करते।
🌼 कथा का संदेश
सच्ची श्रद्धा, नियम और विश्वास से किया गया व्रत अवश्य फल देता है।
भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके जीवन से कष्टों का अंत होता है।
🕉️ द्वितीय कथा — अमर व्यापारी पुत्र की करुणा और कृपा की गाथा

बहुत पुरानी बात है। अमरपुर नाम के नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसके पास धन, वैभव, सम्मान — सब कुछ था। लेकिन उसके जीवन में एक बहुत बड़ा खालीपन था — उसकी कोई संतान नहीं थी।
दिन-रात उसका मन इसी चिंता में डूबा रहता कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति और विरासत का क्या होगा? कौन उसका नाम आगे बढ़ाएगा?
🙏 शिव भक्ति में संतान की आस
इस चिंता से व्याकुल होकर वह और उसकी पत्नी हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा और व्रत करने लगे। वे दोनों शिव भक्ति में लीन हो गए, उन्हें बस एक ही आस थी — एक संतान की।
उनकी यह निष्ठा और श्रद्धा देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा,
“प्रभु! यह भक्त कितने प्रेम और आस्था से आपकी उपासना कर रहा है। कृपया इसकी मनोकामना पूर्ण कीजिए।”
भगवान शिव मुस्कराए और बोले,
“पार्वती! संसार में सभी को उनके कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है। लेकिन तुम्हारे आग्रह पर मैं इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान देता हूं।
हां, इसका पुत्र केवल 16 वर्षों तक ही जीवित रहेगा।”
👶 वरदान और चिंता
रात को व्यापारी को स्वप्न में भगवान शिव के दर्शन हुए। उन्होंने पुत्र होने का आशीर्वाद दिया, साथ ही यह भी बताया कि उसका जीवन सिर्फ 16 वर्षों तक होगा।
व्यापारी और उसकी पत्नी को खुशी तो हुई, लेकिन साथ ही पुत्र की अल्पायु का भय उन्हें अंदर से कचोटने लगा। फिर भी उन्होंने भगवान शिव में पूर्ण विश्वास रखते हुए सोमवार व्रत जारी रखा।
कुछ समय बाद उनके घर एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया। उन्होंने उसका नाम अमर रखा। घर में उत्सव मनाया गया, पर इस सुख के पीछे एक गहरी चुप्पी और चिंता भी थी — जो सिर्फ माता-पिता जानते थे।
📚 शिक्षा के लिए विदा
समय बीतता गया। जब अमर 12 साल का हुआ, तो व्यापारी ने उसे शिक्षा के लिए वाराणसी भेजने का निर्णय लिया। साथ में उसके मामा को भी भेजा, और हिदायत दी कि —
“जहाँ भी रुकना हो, वहाँ ब्राह्मणों को भोजन कराना और यज्ञ करते रहना।”
👰 विवाह का संयोग
रास्ते में वे एक नगर में पहुँचे, जहाँ राजा की बेटी चंद्रिका का विवाह होने वाला था। लेकिन समस्या यह थी कि दूल्हा एक आंख से काना था।
राजा को यह बात न पता चल जाए — इसी डर से दूल्हे के पिता ने एक चाल चली।
उसने अमर को देखकर सोचा — क्यों न इसे अस्थायी वर बना दूं?
राजकुमारी से इसका विवाह करा दूं, और फिर बाद में सच्चे वर को ले जाऊं।
मामा ने भी धन के लालच में यह बात मान ली। अमर को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर चुपचाप विवाह करा दिया गया।
लेकिन अमर ने विवाह के बाद राजकुमारी की ओढ़नी पर एक संदेश लिख दिया —
“तुम्हारा विवाह मुझसे हुआ है। मैं शिक्षा के लिए वाराणसी जा रहा हूं। जो तुम्हें लेने आएगा, वह काना है।”
राजकुमारी ने जब यह पढ़ा, तो सच्चाई समझ गई और झूठे वर के साथ जाने से इनकार कर दिया।
🔥 यज्ञ, मृत्यु और विलाप
वाराणसी पहुँचकर अमर ने गुरुकुल में शिक्षा प्रारंभ की। जब वह 16 वर्ष का हुआ, तो उसने एक बड़ा यज्ञ किया, ब्राह्मणों को भोजन कराया, अन्न-वस्त्र दान दिए।
लेकिन उसी रात, जैसा कि शिवजी ने कहा था —
अमर की नींद में ही मृत्यु हो गई।
सुबह जब मामा ने देखा कि अमर की सांसें बंद हो चुकी हैं — वह फूट-फूटकर रोने लगा।
पूरा नगर शोक में डूब गया।
🌺 पार्वती की करुणा, शिव की कृपा
मामा के रोने की आवाजें अदृश्य रूप से वहां से गुजरते भगवान शिव और माता पार्वती ने भी सुनीं।
माता पार्वती का हृदय करुणा से भर गया। उन्होंने कहा —
“प्रभु! यह बहुत पीड़ा में है। आप इसे जीवनदान दें। इसके माता-पिता इस दुख से मर जाएंगे।”
भगवान शिव ने कहा —
“यह वही अमर है। मैंने इसे 16 वर्ष की आयु दी थी। लेकिन तुम्हारे आग्रह पर मैं इसे पुनः जीवनदान देता हूं।”
कुछ ही पलों में अमर जीवित होकर उठ बैठा। सभी चकित और प्रसन्न हो उठे।
👑 पुनर्मिलन और वरदान
अमर शिक्षा पूरी कर मामा के साथ वापस लौट रहा था। रास्ते में वे फिर उसी नगर पहुँचे, जहाँ उसका विवाह हुआ था।
वहाँ एक बार फिर यज्ञ का आयोजन किया गया।
राजा ने अमर को देखा और पहचान लिया।
वह उसे सम्मानपूर्वक महल ले गया और अपनी बेटी चंद्रिका के साथ उसे आदरपूर्वक विदा किया।
घर पहुंचने से पहले ही मामा ने एक दूत भेजकर व्यापारी को सूचना दी।
बेटे को जीवित देखकर, और उसके विवाह की बात जानकर —
व्यापारी और उसकी पत्नी की आंखों से अश्रुधारा बह निकली।
🌙 शिवजी का संदेश
उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी को स्वप्न में दर्शन देकर कहा —
“हे श्रेष्ठि! तुम्हारे सोमवार व्रत और व्रत कथा श्रवण से प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारे पुत्र को दीर्घायु प्रदान की है।”
✨ इस कथा से हमें क्या सीख मिलती है?
कर्म और भक्ति का संयोग, असंभव को भी संभव बना सकता है।
श्रद्धा, नियम और विश्वास से किया गया व्रत कभी व्यर्थ नहीं जाता।
भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, चाहे भाग्य में कुछ और लिखा हो।
🌸 सावन सोमवार के नियम (Sawan Somvar Rules)
- तामसिक भोजन, मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि से दूर रहें।
- सात्विक, शुद्ध और अहिंसक जीवन शैली अपनाएं।
- झूठ, क्रोध, आलस्य, द्वेष जैसे दोषों से बचें।
- पूरे सावन मास में संयम और भक्ति बनाए रखें।
💫 कांवड़ यात्रा और शिवभक्तों की आस्था
उत्तर भारत में सावन के महीने में कांवड़ यात्रा विशेष उत्साह और भक्ति का प्रतीक होती है। “बोल बम” के जयकारों के साथ शिवभक्त गंगाजल लाने के लिए हरिद्वार, गंगोत्री, वाराणसी आदि तीर्थों की यात्रा करते हैं।वे अपने गांव या शहर के शिव मंदिर में जल चढ़ाते हैं।
बिहार में भी यह परंपरा अत्यंत लोकप्रिय है। विशेष रूप से सुलतानगंज (भागलपुर) से बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर (झारखंड) तक की कांवड़ यात्रा करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होती है। भक्त गंगा से जल भरकर लगभग 105 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करते हैं और बाबा को जल अर्पित करते हैं।
यह यात्रा कठोर तप, सेवा और पूर्ण समर्पण का प्रतीक है जो श्रद्धालुओं के भक्ति भाव को दर्शाती है।
🎋 मान्यताएं और आस्थाएं
- सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन माना जाता है।
- यह मास दांपत्य जीवन के सुख, प्रेम और सामंजस्य को बढ़ाता है।
- माना जाता है कि सावन में शिवजी साक्षात रूप से धरती पर विचरण करते हैं।
🌟 ज्योतिषीय लाभ (Astrological Significance)
2025 के सावन सोमवारों में सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग जैसे कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
- यह व्रत चंद्रमा दोष, मानसिक अस्थिरता और ग्रह पीड़ा को शांत करता है।
- कुंडली में शिव ग्रहों के अनुकूल प्रभाव को बढ़ाता है।
- मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि करता है।
📿 मंत्र, भजन और स्तुति
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
शिव पंचाक्षर मंत्र:
ॐ नमः शिवाय
भक्ति भजन पंक्तियाँ:
“भोले शंकर तेरे नाम से, शुरू हर काम है
चल पड़े हैं तेरी राहों पे, तू साथ है तो क्या घाम है”
शिव कृपा से भरपूर सावन सोमवार
सावन सोमवार 2025 केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, विश्वास और अध्यात्म का संगम है। यह वह समय है जब प्रकृति भी शिव की भक्ति में रच-बस जाती है।
यदि आप अपने जीवन में सुख, शांति और संतुलन चाहते हैं, तो इस सावन सोमवार व्रत को श्रद्धा और आस्था से करें।
क्योंकि शिव का दर वह स्थान है, जहां हर याचक को कुछ न कुछ अवश्य मिलता है।
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