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श्रावण शिवरात्रि 2025: व्रत विधि, कथा और महत्व

श्रावण शिवरात्रि 2025 की तिथि, महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा जानें इस विस्तृत लेख में। शिवभक्तों के लिए एक पावन अवसर।

श्रावण शिवरात्रि, भगवान शिव की आराधना का वह विशेष पर्व है जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। इस पावन तिथि पर शिवभक्त व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए जानें इसका महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और संपूर्ण जानकारी।

📅 2025 में श्रावण शिवरात्रि की तिथि

श्रावण मास की शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि कहा जाता है। यह शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक होती है।
वर्ष 2025 में श्रावण शिवरात्रि की तिथि:
➡️ 24 जुलाई 2025, गुरुवार
🔔 चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई को दोपहर 12:02 बजे
🔔 चतुर्दशी तिथि समाप्त: 25 जुलाई को दोपहर 12:55 बजे

🧘‍♂️ श्रावण शिवरात्रि का महत्व

श्रावण शिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव और माँ पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और रात्रि भर जागरण कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भक्तों को:

  • पापों से मुक्ति मिलती है,
  • मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं,
  • और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय भी महीना कहा गया है। इसी माह में बारिश की फुहारों के बीच भक्तजन बेलपत्र, जल, पुष्प आदि अर्पित कर शिव की पूजा करते हैं।लेकिन श्रावण शिवरात्रि, इस पूरे मास की सबसे खास तिथि मानी जाती है, क्योंकि इस दिन की गई पूजा और व्रत का फल सौगुना होता है।

    यह व्रत क्यों किया जाता है?

    • विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं।
    • कुँवारी कन्याएँ उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।
    • पुरुष भक्त भी शिव की कृपा पाने हेतु उपवास करते हैं।

    🛐 व्रत और पूजा विधि

    श्रावण शिवरात्रि के दिन व्रत करने की विधि इस प्रकार है:

    🌄 सुबह की तैयारी:

    1. प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
    2. स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शिवालय जाएँ या घर में ही शिवलिंग स्थापित करें।
    3. व्रत का संकल्प लें — “मैं शिवरात्रि व्रत रख रहा/रही हूँ, भगवान शिव कृपा करें।”

    🌿 पूजन सामग्री:

    • बेलपत्र (त्रिदल वाले)
    • जल, दूध, शहद, दही, घी (पंचामृत)
    • धतूरा, भस्म, चंदन, अक्षत
    • सफेद पुष्प, ऋतु फल, मिठाई
    • दीप, धूप, कपूर

    🕯️ पूजा विधि:

    1. शिवलिंग का जल से अभिषेक करें।
    2. फिर पंचामृत से स्नान कराएं।
    3. बेलपत्र अर्पित करें और प्रत्येक पत्ते पर “ॐ नमः शिवाय” बोलें।
    4. धूप-दीप जलाकर आरती करें।
    5. शिव चालीसा या शिव स्तोत्र पढ़ें।

    🌙 रात्रि जागरण:

    इस दिन रात्रि जागरण (जगकर शिव नाम स्मरण करना) अत्यंत शुभ होता है। इसमें चार प्रहर की पूजा की जाती है — हर प्रहर में अलग-अलग सामग्रियाँ अर्पित की जाती हैं।

    श्रावण शिवरात्रि: चार पहर की पूजा विधि

    रात्रि को चार पहरों (पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी पहर) में बांटकर भगवान शिव की पूजा की जाती है। हर पहर की पूजा का अपना विशेष महत्व और विधि होती है।

    1. पहली पहर (संध्या से मध्यरात्रि तक)

    • समय: लगभग सूर्यास्त के बाद से आधी रात तक
    • पूजा विधि:
      • दीप और धूप जलाकर भगवान शिव का स्वागत करें।
      • शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर (पंचामृत) से अभिषेक करें।
      • त्रिदल बेलपत्र अर्पित करें।
      • धतूरा, चंदन, अक्षत से सजाएं।
      • इस समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें या शिव चालीसा पढ़ें।
      • मंत्रों और स्तोत्रों के जाप के दौरान ध्यान लगाएं कि शिवजी की कृपा मिले।

    2. दूसरी पहर (मध्यरात्रि से एक बजे तक)

    • समय: आधी रात से लगभग 1 बजे तक
    • पूजा विधि:
      • इस पहर में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है।
      • शिवलिंग को पुनः पंचामृत से स्नान कराएं।
      • तुलसी और बेलपत्र पुनः अर्पित करें।
      • “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करें।
      • दीप जलाएं और आरती करें।
      • इस पहर की पूजा में ध्यान रहे कि मन शुद्ध और ध्यानमग्न हो।

    3. तीसरी पहर (1 बजे से 2 बजे तक)

    • समय: लगभग 1 बजे से 2 बजे तक
    • पूजा विधि:
      • शिवलिंग पर पुनः जलाभिषेक करें।
      • शहद, दही, घी से पंचामृत से स्नान कराएं।
      • मनोहर पुष्पों, सफेद फूलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें।
      • “रुद्राष्टक” या “शिव संहिता” का पाठ करें।
      • धूप-दीप जलाएं, ध्यान लगाएं।
      • इस पहर में भक्त शिवजी से मोक्ष की कामना करें।

    4. चौथी पहर (2 बजे से प्रातःकाल तक)

    • समय: लगभग 2 बजे से प्रातःकाल तक
    • पूजा विधि:
      • अंतिम बार शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें।
      • पंचामृत से स्नान कराएं।
      • अक्षत (चावल) और बेलपत्र अर्पित करें।
      • “शिव तांडव स्तोत्र” या “शिवाष्टकम्” का पाठ करें।
      • प्रातःकाल तक जागरण करते हुए भगवान शिव का ध्यान करें।
      • धीरे-धीरे सुबह की पहली किरण के साथ पूजन समाप्त करें।
      • रात्रि जागरण के बाद हल्का ब्राह्मण भोजन ग्रहण करें या फलाहार लें।

    अतिरिक्त सुझाव:

    • रात्रि जागरण के दौरान पूरे समय ध्यान रखें कि मन एकाग्र और शुद्ध रहे।
    • इस पवित्र पर्व पर शराब, मांसाहार, झूठ आदि से परहेज करें।
    • संभव हो तो शिवलिंग के पास दीप जलाएं और शिवजी का भजन करें।
    • हर पहर पूजा की सामग्री जैसे बेलपत्र, पंचामृत आदि तैयार रखें ताकि समय पर पूजा विधि में देरी न हो।

    📖 श्रावण शिवरात्रि व्रत कथा

    बहुत प्राचीन समय की बात है।

    एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा,

    “स्वामी, ऐसा कौन-सा व्रत है जिससे स्त्रियों को अखंड सौभाग्य प्राप्त हो और भक्तों को पापों से मुक्ति मिले?”

    भगवान शिव ने उत्तर दिया —

    “हे देवी! श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, अर्थात् श्रावण शिवरात्रि, मेरे परम प्रिय तिथि है।
    इस दिन जो भक्त उपवास करता है, रात्रि जागरण करता है, और श्रद्धापूर्वक बेलपत्र, जल, पुष्प, धतूरा आदि अर्पित करता है — उसे मोक्ष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।”

    भगवान शिव ने फिर एक कथा सुनाई —

    🌿 एक शिकारी की कथा

    एक वनप्रदेश में एक शिकारी रहता था।
    एक दिन शिकार की तलाश में वह पूरा दिन जंगल में भटकता रहा, लेकिन कोई शिकार न मिला।
    शाम होते-होते अंधेरा हो गया और जानवरों के डर से वह एक बेलवृक्ष पर चढ़ गया। उसी वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था।

    रात भर वह नींद से बचने के लिए टहनियाँ तोड़कर नीचे गिराता रहा।
    वही टहनियाँ बेलपत्र सहित शिवलिंग पर गिरती रहीं।
    भूख के कारण उसने कुछ खाया नहीं। भय के कारण वह ‘भोलेनाथ बचाओ’ कहता रहा।

    अर्थात्:

    • उपवास हो गया
    • रात्रि जागरण भी
    • बेलपत्र अर्पण भी
    • शिव नामस्मरण भी

    प्रातःकाल भगवान शिव प्रकट हुए और बोले —

    “हे भक्त! तूने जो अनजाने में भी मेरी आराधना की है, उससे मैं प्रसन्न हूँ। मैं तुझे जीवनभर सुख, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद देता हूँ।”

    उस दिन के बाद शिकारी ने हिंसा का मार्ग छोड़ दिया, साधु बन गया और भगवान शिव की भक्ति में लीन हो गया।

    📜 कथा का सार

    श्रावण शिवरात्रि की इस पावन कथा से यह स्पष्ट होता है कि —

    👉 सच्चे मन, श्रद्धा और नियम से किया गया व्रत, चाहे वह जाने-अनजाने हो, भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है।

    👉 वे भोलानाथ हैं — भोले हैं, सहज प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों को कभी खाली नहीं लौटाते।

    ✨ श्रावण शिवरात्रि से मिलने वाले पुण्य

    इस व्रत को करने से:

    • पापों का नाश होता है।
    • मोक्ष की प्राप्ति होती है।
    • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति आती है।
    • विवाह में बाधा दूर होती है।
    • पारिवारिक कलह समाप्त होता है।
    • सौभाग्य और संतान सुख मिलता है।

    🌼 स्त्रियों के लिए विशेष महत्त्व

    श्रावण शिवरात्रि का व्रत स्त्रियों के लिए विशेष रूप से फलदायक माना गया है।विवाहिता स्त्रियाँ अखंड सौभाग्य के लिए इस दिन व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित युवतियाँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं और शाम को महादेव-पार्वती का पूजन कर कथा सुनती हैं। वह सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की युगल मूर्ति को सजाती हैं।श्रद्धा और भक्ति से किया गया यह व्रत स्त्रीत्व की गरिमा, संयम और आस्था का प्रतीक बन जाता है।

    🔱 सांस्कृतिक और धार्मिक पहलू

    भारत के कई राज्यों — विशेषकर उत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में — श्रावण शिवरात्रि बड़े ही उल्लास से मनाई जाती है।

    • मंदिरों में भारी भीड़ होती है।
    • कांवड़ यात्रा अपने चरम पर होती है।
    • हर-हर महादेव के जयघोष गूंजते हैं।

    यह पर्व लोक परंपरा, भक्ति और आध्यात्मिक अनुशासन का संगम है।

    📜 श्रद्धा, साधना और शिव से जुड़ाव का दिन

    श्रावण शिवरात्रि केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, यह शिव से आत्मा के मिलन का अवसर है। इस दिन किया गया छोटा-सा प्रयास भी भक्त को अनंत पुण्य, शांति और शक्ति प्रदान करता है।

    जो लोग सच्चे मन से उपवास करते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और भक्ति में लीन होते हैं, उन्हें शिव कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
    भोलेनाथ स्वयं कहते हैं —

    “सच्चे मन से की गई भक्ति मुझे शीघ्र प्राप्त करवा सकती है।”

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